Dhaka Silent For One Minute Every Day To Reduce Noise Pollution: यूनाइटेड नेशंस एनवायर्मेंट प्रोग्राम (UNEP) के मुताबिक, बांग्लादेश की राजधानी दुनिया के सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषित शहरों के मामले में नंबर एक है। इससे निपटने के लिए बांग्लादेश की सरकार ने यूनिक तरीका अपनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजधानी ढाका रोजाना सुबह एक मिनट तक मौन रहती है। इस एक मिनट में किसी तरह का कोई शोर नहीं होता।

रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका रोज सुबह 10 बजे से 10.01 मिनट तक चुप रहती है। इस एक मिनट में न तो गाड़ियों के हॉर्न बजते हैं और न ही मस्जिदों का लाउडस्पीकर बजते हैं, न ही कोई बात करता हुआ सुना जाता है। कुल मिलाकर रोजाना सुबह एक मिनट के लिए पूरा ढाका एक मिनट का साइलेंट जोन बन जाता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि दम घोंटू आवाज से निपटने के लिए राजधानी के 11 स्पॉट को चिन्हित किया गया है, जहां सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर 10 बजे तक, यानी आधे घंटे तक किसी भी तरह का शोर नहीं होता। बांग्लादेश के पर्यावरण मंत्रालय ने शहर के लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए दीवारों पर पोस्टर लगवाए हैं।

ढाका में आखिर कितना शोर है?

यूनाइटेड नेशन्स एनवायर्नमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका में ध्वनि प्रदूषण का औसत 119 डेसिबल है। बता दें कि WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 डेसिबल से ज्यादा का शोर इंसान को अस्थाई रूप से बहरा बना सकता है, जबकि 100 डेसिबल तक का शोर किसी मनुष्य को पूरी तरह से बहरा बनाने के लिए काफी है। इस लिहाज से ढाका का औसत शोर इंसान के बर्दाश्त करने की क्षमता से करीब दोगुना है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की सरकार ने ध्वनि प्रदूषण में लगातार इजाफा को देखते हुए करीब 17 साल पहले ही इससे संबंधित कानून बना दिया था। साल 2006 में ही ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कानून बनाए गए थे। कानून के मुताबिक, आवासीय और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियम हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बांग्लादेश ने मौन का फार्मूला तो अपना लिया है, लेकिन इसे ज्यादा सफलता की उम्मीद नहीं की जा सकती। विशेषज्ञ तर्क देते हैं कि ढाका के लोगों में ध्वनि प्रदूषण को लेकर जागरूकता नहीं है। बिना मतलब के भी लोग सड़कों पर गाड़ियों के हॉर्न बजाते हैं।