भारतीय सेना के जवानों के फोन में मालवेयर भेजकर जासूसी करने के पाकिस्तानी साजिश का गुजरात ATS ने पर्दाफाश किया है. दरअसल, गुजरात एटीएस को मिलिट्री इंटेलीजेंस के द्वारा इनपुट मिला था कि कोई पाकिस्तानी एजेंसी का जासूस भारतीय सेवा के जवानों के फोन में संदिग्ध लिंक (वायरस) भेजकर उनके फोन का डाटा हैक करता है और भारतीय सेना की गुप्त जानकारी लीक करता है. ताकि भारतीय सेना के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की मदद हो पाए.

इसके बाद गुजरात एटीएस ने नंबर की जांच की, जिसमें यह नंबर जामनगर के मोहम्मद सकलेन के नाम पर रजिस्टर था. जिसने यह सिम कार्ड जामनगर के ही असगर मोदी को दिया था और पाकिस्तान एंबेसी में काम कर रहे एक शख्स ने यह सिम कार्ड आनंद जिले के तारापुर में रहने वाले लाभशंकर महेश्वरी को दिया था. लाभशंकर माहेश्वरी पाकिस्तान में रहता था और साल 1999 में वीजा के आधार पर भारत आया. साल 2005 में उसने और उसकी पत्नी ने भारतीय नागरिकता प्राप्त की.

इसके बाद लाभशंकर ने साल 2022 में पाकिस्तानी वीजा के लिए अप्लाई किया था पर वीजा में देरी हो रही थी, जिसकी वजह से उसने पाकिस्तान मे रहने वाले अपने मौसी के बेटे किशोर रामवाणी को बात की थी. किशोर ने पाकिस्तान एंबेसी में किसी शख्स से व्हाट्सऐप पर बात करने के लिए लाभशंकर को कहा था. इसके बाद लाभशंकर और उसकी बीवी के वीजा मंजूर हुए और दोनों पाकिस्तान गए थे. बाद में उसने अपनी बहन और उसकी बच्ची के लिए पाकिस्तानी वीजा के लिए फिर से इस शख्स से पाकिस्तान एंबेसी में संपर्क किया था और मंजूर भी करवाए थे.

इस शख्स ने यह सिम कार्ड लाभशंकर को भिजवाया था और उसकी मदद से व्हाट्सएप चालू किया था. लाभशंकर ने उस शख्स की सूचना के अनुसार इस सिम कार्ड को अपनी बहन के साथ पाकिस्तान भिजवाया और अपने मौसेरे भाई किशोर की मदद से इसे पाकिस्तान आर्मी या फिर जासूसी संस्था के एजेंट तक पहुंचाया था. इसके बाद इस नंबर का व्हाट्सएप अकाउंट पाकिस्तानी जसूजी संस्था के एजेंट के द्वारा ही पाकिस्तान से ऑपरेट होता था.