कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और कमल नाथ द्वारा कन्या पूजा को लेकर लगाए गए आरोप पर सीएम शिवराज सिंह ने पलटवार किया है. विजयादशमी के मौके पर राम राजा की नगरी ओरछा में बीजेपी की जीत का संकल्प दिलाते हुए शिवराज ने कहा कि बहन बेटियों के खिलाफ अपशब्द कहने वाले दिग्विजय को मेरे द्वारा बेटियों की पूजा नौटंकी लगती है.

सीएम ने कहा कि बहनों की पूजा के लिए नैतिक साहस चाहिए. मैं बेटियों के और बहनों के पैर भी धोता हूं और उस पानी को माथे से भी लगाता हूं. यह वही कर सकता है जिसके मन में पवित्र भाव हो, जिसमें भारतीय संस्कार हो. बहनों के सम्मान का यह काम दिग्विजय सिंह नहीं कर सकते. बहन और बेटियों को टंच माल कहने वाले आइटम कहने वाली मानसिकता को बदलना होगा.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीताहरण के बाद माता सीता की खोज के दौरान उनके कंठहार के मोतियों को लेकर राम और लक्ष्मण प्रसंग का हवाला देते हुए कहा कि मुझे कहते हुए बहुत दर्द और पीड़ा है, बेटियों की पूजा सनातन का संस्कार है, कल पूरा देश बेटियों की पूजा कर रहा था. बेटियों के पांव पखारे जा रहे थे. कन्या भोज किए जा रहे थे, लेकिन कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को बेटियों की पूजा नाटक-नौटंकी लगती है.

सीएम ने पूछा- कांग्रेस बताए बेटियों की पूजा नौटंकी है?

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया से जवाब मांगते हुए कहा कि सोनिया बताएं क्या भारत में बेटी की पूजा नाटक-नौटंकी है? कांग्रेस अपना स्टैंड साफ करे, क्या कांग्रेस बेटियों और कन्या पूजन के खिलाफ है? मुख्यमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कन्याओं का पूजन अपने देश की परंपरा है.

सीएम ने कहा, कल भी मैंने सीएम हाउस में कन्याओं का पूजन किया और मैं हर कार्यक्रम को कन्या पूजन से शुरू करता हूं. कन्या पूजन ऐसे ही नहीं, हम बहनों के पैर धोते हैं और उस पानी को माथे से लगाते हैं. सीएम शिवराज ने पूछा कि बताओ, बहनों को देवियां मानना चाहिए कि नहीं?

‘सनातन धर्म का अपमान कर रहे कांग्रेस’

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हजारों साल पहले से भारत में कन्याओं को देवियां मानकर उनकी पूजा करते हैं. कन्याओं का पूजन सनातन धर्म की परंपरा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को शर्म आनी चाहिए. ये भारतीय संस्कृति का अपमान है. कन्या पूजन का विरोध करते हैं, नाटक और नौटंकी बताते हैं। यह भारतीय परंपराओं और सनातन धर्म का अपमान है.