लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर का मुद्दा बहुत तेज़ी से तूल पकड़ रहा है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण अपने अंतिम चरण में है. 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे. इसको लेकर अभी से तैयारी शुरू हो गई है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी पूजन में शामिल होंगे. सीएम योगी, राज्यपाल प्रोटोकाल शिष्टाचार के तहत प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे.
एक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय हो गई है, दिन भी निश्चित है. राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से चार प्रतिनिधि मंडलों के दल ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए पीएम से शिष्टाचार मुलाकात कर उनको आमंत्रित भी कर दिया है.
ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे पीएम बने
श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के लिये निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- धन्य महसूस कर रहा हूं. पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि वह खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं और यह उनका सौभाग्य है कि वह अपने जीवनकाल में, इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे.
अब इस मुद्दे पर भी सियासत शुरू
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी पर चुनावी फायदे के लिए पांच राज्यों के चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर का मुद्दा उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जातीय जनगणना के लिए विपक्षी दलों के दबाव से डरे हुए हैं, क्योंकि इससे अगले साल के आम चुनाव से पहले धर्म के आधार पर विभाजन की भाजपा की योजना को झटका लग सकता है.
पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने मुर्शिदाबाद में पत्रकारों से कहा, राम मंदिर का राजनीति से कोई संबंध नहीं है. भारतीय हजारों वर्षों से राम की पूजा करते आ रहे हैं. अचानक, मोदी राम भक्त बन गए हैं और देश को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं.