इजराइल हमास जंग के बीच अमेरिका ने सीरिया में बड़ा एयर स्ट्राइक किया है. ईरान समर्थित हथियारबंद समूह के ठिकानों को निशाना बनाया गया है. जंग के बीच मिडिल ईस्ट स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर बीते दिनों कई रॉकेट-मिसाइल अटैक हुए हैं. राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्देशों पर अमेरिकी सेना ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. सीरिया से लेकर इराक तक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए हैं. इसका लिए अमेरिका ने ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड को जिम्मेदार ठहराया था.

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने बताया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्देशों पर ईरान समर्थित चरमपंथी संगठनों पर उत्तरी सीरिया में हवाई हमला किया गया. माना जाता है कि इन्हीं संगठन ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला किया था. अलग-अलग हमलों में 21 अमेरिकी सैनिक घायल हो गए. रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने बताया, “राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्देश पर अमेरिकी सैन्य बलों ने पूर्वी सीरिया में ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स और संबंधित समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो ठिकानों पर सेल्फ-डिफेंस अटैक किया है.

बंद हो अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले

रक्षा सचिव ऑस्टिन ने एक बार फिर दोहराया कि अमेरिका संघर्ष से बचने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है और विवाद में कूदने का उसकी कोई योजना नहीं है. उन्होंने ईरानी इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा कथित रूप से किए गए स्ट्राइक को अस्वीकार्य बताया और कहा कि अमेरिकी सेना पर इस तरह के हमले बंद होने चाहिए. रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि अगर ईरान के प्रतिनिधि अमेरिकी सेना को निशाना बनाना जारी रखते हैं, तो अमेरिका अपने कर्मियों की सुरक्षा के लिए और आवश्यक कदम उठाने में संकोच नहीं करेगा.

अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर रॉकेट और ड्रोन अटैक

हमास के हमले और इसके जवाब में घातक इजराइली एयर स्ट्राइक को लेकर ईरान और इसके समर्थित हिज्बुल्लाह जैसे संगठन विरोध में उतर आए हैं. हिज्बुल्लाह ने हमास के समर्थन का ऐलान किया है और दूसरे फ्रंट पर हमला भी शुरू कर दिया है. इस बीच इराक और सीरिया में इसके सैन्य ठिकानों पर हमले हुए. कहा जा रहा है कि अबतक अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर 16 से ज्यादा ड्रोन और रॉकेट अटैक हुए हैं. अमेरिका ने इन हमलों के लिए सीधे तौर पर ईरान को जिम्मेदार माना है. 19 अक्टूबर को हौथी ने भी एयर स्ट्राइक किया था जिसमें बताया जा रहा है कि चार मध्यम दूरी की मिसाइलें और 15 ड्रोन अटैक थे लेकिन अमेरिका और सऊदी अरब ने इसे नष्ट कर दिया. अमेरिका का कहना है कि यह हमले इजराइल के लिए थे.