डेडलाइन तो 30 अक्टूबर की थी. अब इसमें दो ही दिन बचे हैं. अभी तक इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत भी नहीं शुरू हुई है, तो फिर इस मुद्दे पर बातचीत कब शुरू होगी ! सीटों का तालमेल पहले हो जाने पर गठबंधन की पार्टियों को अपने-अपने उम्मीदवार तय करने में आसानी रहेगी. इससे चुनाव प्रचार के लिए अधिक समय मिल जाएगा. अभी तो हालात ये है कि चुनावी तालमेल छोड़िए इंडिया गठबंधन की पहली रैली कब होगी, ये भी तय नहीं हो पा रहा है.

मुंबई में गठबंधन की आखिरी बैठक में कई पार्टियों की तरफ से ये मांग की गई थी कि सीटों के तालमेल पर बातचीत में देरी नहीं होनी चाहिए. नीतीश कुमार, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता ये चाहते थे कि 30 अक्टूबर तक कम से कम पहले राउंड की बातचीत हो जानी चाहिए. कांग्रेस ने बेंगलुरु की बैठक में इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन इस मामले में अब तक बात आगे नहीं बढ़ पाई है.

विपक्षी एकता की शुरूआत नीतीश कुमार ने ही की थी. कोलकाता से लेकर मुंबई जाकर उन्होंने विपक्ष के नेताओं से अलग अलग बैठकें की थी फिर उनकी पहल पर ही पटना में विपक्षी नेताओं की पहली मीटिंग हुई. आपस में जब भी कोई मामला फंसता है, तो नीतीश कुमार संकटमोचक बन जाते हैं. यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में जारी घमासान से वे बेहद चिंतित है. उनका पहला एजेंडा इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा है.

नहीं बन पाया कोई फार्मूला

नीतीश कुमार नहीं चाहते हैं कि सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन में आपसी कलह शुरू हो जाए. जैसा झगड़ा अभी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में है. ठीक वही हाल फिर कहीं किसी और पार्टी के साथ ना हो जाए. मध्य प्रदेश में सीटों के तालमेल पर दोनों पार्टियों के बीच कोई फार्मूला नहीं बन पाया. जबकि समाजवादी पार्टी के गठबंधन करने के प्रस्ताव को कांग्रेस ने मान लिया था. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि उन्होंने चार सीटें समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ने का प्रस्ताव कमलनाथ को दिया था.