कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसेनिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने यह सजा जासूसी के आरोप में सुनाई है। वहीं इस मामले में भारत सरकार ने कहा कि वह कोर्ट के इस फैसले से हैरान है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार किया जाएगा। कतर के कोर्ट की मानें तो आठों भारतीय अल अहासा कंपनी में काम करते थे। पिछले साल अगस्त में जासूसी के मामले में आठों भारतीय पूर्व नौसेनिकों को हिरासत में लिया गया था।
भारी कीमत चुकानी पड़ेगी
जानकारी के अनुसार कतर अगर इन आठों भारतीयों को फांसी देता है तो भारत के साथ रिश्ते खराब हो सकते हैं। अपने नागरिकों को छुड़ाने में कतर कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। वहीं पिछले कुछ सालों में नरेंद्र मोदी सरकार के बढ़ते वर्चस्व से पूरी दुनिया परिचित हैं। अमेरिका से लेकर यूरोप तक और मध्य पूर्व के कई देशों के साथ पीएम मोदी अच्छे संबंध हैं। ऐेसे में अगर कतर फांसी देता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
मजदूरों को वापस बुला सकता है भारत
कतर यह बात अच्छे से जानता है कि जब दुनिया वल्र्ड आॅर्डर में बदलाव के दौर से गुजर रही है और ऐसे में अगर वह भारतीयों को फांसी देगा तो इसका प्रभाव कतर पर भी पड़ेगा। उसकी इकाॅनोमी खतरे में आ जाएगी। कतर के इस कदम के बाद भारत राजनीतिक और आर्थिक तौर पर कतर को घेर सकता है। भारत फिलहाल कतर से सर्वाधिक मात्रा में नेचुरल गैस खरीदता है। ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच डील रद्द होती है तो भारत के पास तो कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, और तुर्कमेनिस्तान जैसे देश हैं जो कतर की जगह भरपाई करेंगे। लेकिन कतर की इकाॅनोमी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
इकाॅनोमी के अलावा इंफ्रास्ट्रक्टर के क्षेत्र में भी कतर को भारी नुकसान हो सकता है। भारत से कई मजदूर मजदूरी करने के लिए जाते हैं। संबंध खराब होने की स्थिति में भारत अपने नागरिकों को वापस बुला सकता है। इसके अलावा वर्तमान जियो पाॅलिटिक्स भी भारत को ताकमवर बना रही है। ऐसे में स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है।