दिल्ली-एनसीआर की हवा दिन पर दिन जहरीली होती जा रही है. प्रदूषण का स्तर खतरनाक होता जा रहा है. दुनियाभर के शहरों की बात करें तो इस वक्त दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सबसे ज्यादा है. इसके मुताबिक, दिल्ली का एक्यूआई 500 के पार पहुंच गया है, जबकि दूसरे नंबर पर पाकिस्तान का लाहौर शहर है, जिसका एक्यूआई 283 पहुंच गया है. प्रदूषण का लेवल कम करने के लिए सरकारें तरह-तरह के कदम उठा रही हैं, लेकिन सवाल ये है कि हवा में जहर किस वजह से घुल रहा है.

सितंबर से नंबर महीने के दौरान हर साल दिल्ली एनसीआर में यही स्थिति देखने को मिलती है. हवा में स्मॉग इतना बढ़ जाता है कि स्कूलों की छुट्टी कर दी जाती है. क्योंकि ये जहरीली हवा बच्चों के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है. इस साल भी वही स्थिति है. प्रदूषण का लेवल बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पराली जलाना है, जिसे स्टबल बर्निंग कहा जाता है. इस दौरान, किसान खेतों में पराली जलाते हैं, जिसका धुंआ हवा में घुल जाता है. पंजाब और हरियाणा दिल्ली से काफी नजदीक हैं इसलिए दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में इसका असर बहुत ज्यादा नजर आता है.

सिर्फ पंजाब में अब तक 17,043 मामले

सिर्फ पंजाब में ही पराली जलाने के अभी तक 17,043 मामले सामने आए हैं, जिसमें से केवल 5 नवंबर को ही एक दिन में 3,230 जगह खेतों में पराली जलाई गई. कुल मामलों में से 560 केस केवल जालंधर के हैं. हरियाणा के एग्रीकल्चर और फार्मर्स वेलफेयर मिनिस्टर की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में पराली जलाने के 1, 2 और 3 नवंबर को कुल 1,921, 1,668 और 1,551 मामले सामने आए थे. वहीं, हरियाणा में इन दिनों में 99, 48 और 28 मामले दर्ज किए गए थे. हरियाणा में पंजाब की तुलना में पराली जलाने के कम मामले सामने आए हैं और 5 नवंबर को सिर्फ 109 जगह पराली जलाई गई थी.

2023 में अब तक साल 2022 की तुलना में 41 फीसदी कम मामले

पंजाब में पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने के 41 फीसदी काम मामले सामने आए हैं. 2022 में 15 सितंबर से 5 नवंबर के बीच पराली जलाने की कुल 29,400 घटनाएं देखी गई थीं, जबकि इस बार इस दौरान 17,043 घटनाएं देखी गई हैं.