दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बीते सप्ताह की तुलना में थोड़ा ठीक हुआ है, लेकिन शहर के अस्पतालों में सांस की समस्याओं, लंबे समय तक खांसी, गले में संक्रमण और आंखों में जलन के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.

राष्ट्रीय राजधानी में 28 अक्टूबर से शुरू होकर दो सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ तक रही और इस अवधि के दौरान शहर में दमघोंटू धुंध छाई रही.

बीते शुक्रवार को रुक-रुक कर हुई बारिश की वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में 150 अंक से अधिक का तेजी से सुधार हुआ. हालांकि राहत अल्पकालिक थी क्योंकि लोगों ने रविवार को दिवाली पर पटाखों जलाए, जिससे प्रदूषण के स्तर में उछाल आया.

कई सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने कहा कि लंबे समय तक खांसी, गले में संक्रमण, आंखों में जलन, नाक से स्राव और अस्थमा बढ़ने के मामलों में वृद्धि जारी है. ओपीडी में आने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है क्योंकि आमतौर पर लोग त्योहारी सीजन के दौरान अस्पताल जाने से बचते हैं. हमने बमुश्किल दो दिन बेहतर AQI देखा, लेकिन दिवाली के बाद यह फिर से बिगड़ गया, और हमारे ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या अपरिवर्तित बनी हुई है.

दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ सुरनजीत चटर्जी ने कहा, “शायद, बहुत कम राहत की अवधि थी और वह भी इसलिए क्योंकि यह उत्सव के साथ मेल खाता था. अन्यथा स्थिति वैसी ही रहती.”

फोर्टिस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी सलाहकार डॉ. ऋचा सरीन ने भी कहा कि ओपीडी के लिए “मुश्किल से राहत की अवधि” थी. उन्होंने कहा, “तीन दिन जब AQI अपेक्षाकृत बेहतर था, वे उत्सव के तीन दिनों के साथ मेल खाते थे और लोग आमतौर पर त्योहारी सीजन के दौरान अस्पतालों में जाने से बचते हैं.”

उन्होंने कहा कि फोर्टिस अस्पताल में लंबे समय तक खांसी, आंखों में जलन, गले में संक्रमण और सांस संबंधी समस्याओं के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने लोगों से बाहर निकलते समय मास्क पहनने जैसी सभी सावधानियां बरतने को कहा और उन्हें सुबह-सुबह टहलने या व्यायाम के लिए बाहर निकलने के प्रति आगाह किया.