उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूर अभी तक बाहर नहीं आ सके हैं. हालांकि, दो बार कोशिश विफल होने के बाद मंगवाई गई अमेरिकी ऑगर मशीन ने 21 मीटर तक ड्रिलिंग का काम कर लिया है. जैसे-जैसे मशीन आगे बढ़ रही है, मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद भी बढ़ रही है. अमेरिकी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन से शुक्रवार की सुबह तक 21 मीटर तक पाइप मलबे में डाले जा चुके हैं.

यह हाई पावर मशीन एक घंटे में 5 से 6 मीटर तक ड्रिलिंग कर रही है, लेकिन डेढ़ घंटे में सिर्फ 3 मीटर ही पाइप मलबे में जा पा रहा है. पाइप को वेल्डिंग और उसके एलाइनमेंट को सही करने में ज्यादा समय लग रहा है. अब 21 मीटर तक ड्रिलिंग होने के बाद टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने की राह आसान हो गई है.

सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन पीएमओ की निगरानी में चल रहा है, इसलिए टनल के अंदर ITBP और NDRF के जवानों को मोर्चे पर लगाया गया है. अधिकारियों के मुताबिक, ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 मिमी और 900 मिमी व्यास के बड़े पाइपों को एक के बाद एक ऐसे डाला जा रहा है जिससे मलबे के उस पार फंसे मजदूरों के बाहर निकलने के लिए एक’एस्केप टनल’ बन जाए और श्रमिक उसके सहारे बाहर आ जाएं.

मंगलवार को मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मलबे में ड्रिल किया जा रहा था लेकिन रात के समय एक बार फिर भूस्खलन हो गया, जिसकी वजह से ड्रिलिंग के काम को रोकना पड़ा था. इसके बाद ड्रिल करने वाली मशीन भी खराब हो गई थी. दो बार मशीन के खराब होने की वजह से काम को रोकना पड़ा.

दो बार मिली असफलता के बाद इंडियन एयरफोर्स के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी अत्याधुनिक बड़ी ऑगर मशीन को लाया गया. तीन विमानों में ये मशीन यहां पहुंची और गुरुवार को उसे सुरंग के द्वार पर सेट किया गया. इसके बाद दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गई.

ड्रिल करने का काम शुरू करने से पहले वहां पर पूजा की गई. गुरुवार को मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा था कि मजदूरों को बाहर निकालने में दो से तीन दिन का और समय लग सकता है. हालांकि, जिस रफ्तार से ड्रिलिंग का काम हो रहा है, उससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि शुक्रवार की शाम तक मजदूर बाहर आ जाएंगे.

इस बीच, गुरुवार को सिलक्यारा पहुंचे प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि सुरंग में फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उनसे लगातार बातचीत हो रही है. उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए पहुंचाया जा रहा है.