मालदीव की सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को भारत सरकार से उनके देश में तैनात भारतीय जवानों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है. मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के लोगों ने भारत सरकार से यह अनुरोध करने के लिए उन्हें मजबूत जनादेश दिया है. मुइज्जू ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात के दौरान भारत से यह अनुरोध किया.

इस बीच हांगकांग के एक अखबर साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की वेबसाइट पर लगी एक खबर ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. जिसमें यह दावा किया गया है कि मालदीव को अपने नए चीन-अनुकूल राष्ट्रपति के साथ निवेश में बढ़ोतरी की उम्मीद है क्योंकि बीजिंग अवसर का लाभ उठाना चाहता है. इसके बाद अब सवाल उठ रहा है कि भारत की सेना हटने के बाद मालदीव चीन से क्या कुछ लेगा और दोनों के बीच में क्या बड़ी डील हो सकती है?

दरअसल, मुइज्जू को चीनी समर्थक नेता माना जाता है. मालदीव को इस हफ्ते एक चीनी विशेष दूत की मेजबानी के बाद पर्यटन सुविधाओं और ऊर्जा बुनियादी ढांचों में चीन से ज्यादा निवेश की उम्मीद है. मालदीव के एक राजनयिक ने कहा है कि देश ने बीजिंग के अनुकूल राष्ट्रपति का स्वागत किया है.

रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश रहेगा मुख्य उद्देश्य

हांगकांग बेस्ड उप-वाणिज्य दूत विजय हरिलाला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए कहा था कि मालदीव के निवेश एजेंडे में रिन्यूएबल एनर्जी टॉप पर होगी क्योंकि यह क्षेत्र पर्यटन के लिए भी हॉटस्पॉट है. शुक्रवार को शपथ ग्रहण के तुरंत बाद मुइज्जू ने जोर देकर कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

इन क्षेत्रों में चीनी निवेश को न्योता दे सकता है मालदीव

रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव अपने देश में होटल, रिसोर्ट, पर्यावरण पर्यटन, ट्रैवल एजेंसियों में निवेश का अवसर दे सकता है. इसके लिए कृषि और रियल एस्टेट में निवेश के दरवाजे खुला रख सकता है. दूसरी तरफ चीन के लिए भी मालदीव में निवेश करना का एक बेहतर समय है. ऐसे में चीन मालदीव में निवेश करने से पीछे नहीं रह सकता है.