कश्मीर मौजूदा समय में सबसे खराब बिजली संकट का सामना कर रहा है. यहां पर बिजली उत्पादन गिरकर 50-100 मेगावॉट पर पहुंच गई है, जबकि मांग 1800 मेगावाट की है. बिजली संकट की इस समस्या से क्षेत्र में पहने वाले 70 लाख से ज्यादा लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन 12 से 16 घंटे बिजली की कटौती की जाती है. ऐसी स्थिति पिछले दो दशकों से नहीं देखी गई है. सर्दी के मौसम में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जिससे की आबादी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं.

बिजली विकास विभाग (पीडीडी) के अनुसार, कश्मीर को प्रतिदिन 16 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए 1800 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, जबकि चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति के लिए 2200 से 2300 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है. लेकिन बिजली विभाग रोज सिर्फ 50-100 मेगावाट बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं.

बिजली संकट के पीछे कुछ मुख्य कारण माने जा रहा हैं. सबसे पहले, कश्मीर में लंबे समय तक सूखा रहा और उसके बाद नवंबर में तापमान बेहद ठंडा हो गया. इसके कारण झेलम जैसी नदियों में बर्फ जमने लगी और पानी का बहाव कम हो गया.

42 रुपये प्रति यूनिट बिजली

क्षेत्र में संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है. प्रशासन ने उत्तरी ग्रिड से बिजली की खरीद का पता लगाने के लिए एक समिति की स्थापना भी की है. बिजली कमी के कारण अस्पतालों में परेशानियां पैदा होने लगी हैं. मौजूदा समय में जम्मू और कश्मीर में उपभोक्ताओं से लिए बिजली 42 रुपये प्रति यूनिट पहुंच गई है, जो पहले 3 से 4 रुपये थी. इसके लेकर लोगों में आक्रोश है और वह जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं.

जनरेटर खरीदने के लिए मजबूर

बिजली संकट ने खास तौर पर कमजोर लोगों को प्रभावित किया है, जिनमें बुजुर्ग और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित लोग शामिल हैं. इसको ऐसा समझा जा सकता है कि, जिन लोगों को सांस की बीमारी है वह ऑक्सीजन मशीनों पर निर्भर हैं. उसे चलाने के लिए बिजली चाहिए, जिसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है. ऐसे में लोग जनरेटर खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं.