उत्तर प्रदेश के बरेली में एक के बाद एक हुई नौ महिलाओं की हत्या की गूंज आज विधानसभा में देखने को मिल सकती है. बरेली में मीरगंज विधायक डॉ. डीसी वर्मा इस मामले को विधानसभा में उठाकर कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर सकते हैं. छह महीने के अंदर शाही और शेरगढ़ थाना क्षेत्र में हुई इन 9 महिलाओं की हत्या का मामला अब तक पुलिस के लिए रहस्य ही बना हुआ है. वहीं जब इसी मुद्दे पर विधानसभा में उठाने की बात सामने आने के बाद पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए हैं.
बता दें कि बरेली की मीरगंज विधानसभा से भाजपा विधायक डॉ. डीसी वर्मा ने विधानसभा में नियम 51 के तहत प्रश्न लगाया है. चूंकि राज्य में सरकार भी बीजेपी की है. इसलिए पुलिस और दबाव में आ गई है. ऐसे में यहां यह जान लेना जरूरी है कि वो कौन महिलाएं थी, जिनकी हत्या हुई और आज तक पुलिस को वारदात का सुराग तक नहीं मिला. इसमें पहला मामला इसी साल 29 जून का है.
इसमें शाही थाना क्षेत्र के आनंदपुर गांव निवासी प्रेमवती को मारा गया था. वह घर से पशुओं के लिए चारा लेने गई थी. अगले दिन उसका शव खेत में शव मिला. उसकी हत्या साड़ी से गला घोंटकर की गई थी. ठीक इसी तरह से 31 अक्टूबर को महमूदन हत्याकांड को अंजाम दिया गया. शीशगढ़ के लखीमपुर गांव में रहने वाली महमूदन का शव भी खेत में मिला था. उसे चुन्नी से गला घोंटकर मारा गया था. वहीं 20 नवंबर को शाही के खरसैनी गांव में 68 वर्षीय महिला दुलारो देवी की हत्या हुई.दुलारों का शव भी खेत में मिला और उसे भी साड़ी से गला घोंट कर मारा गया था.
इसके बाद शाही थाना क्षेत्र के खजुरिया निवासी कुसुम देवी का गला साड़ी से घोंटकर मार दिया गया. हालांकि इस मामले में पुलिस ने एक नशेड़ी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. शाही थाना क्षेत्र में ही परतापुर निवासी कलावती की हत्या पांच जून को हुई थी. उसके नाक-कान के आभूषण गायब थे. इसमें बताया गया कि लूट के इरादे से वारदात को अंजाम दिया गया है, लेकिन पैटर्न वही पुराना था. यह मामला भी आज तक पुलिस के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है. जबकि शाही थाना क्षेत्र के कुल्छा गांव में गन्ने के खेत में धनवती का शव मिला था. इस मामले में भी पुलिस पोस्टमार्टम और बिसरा सुरक्षित करने से आगे नहीं बढ़ सकी है. कुछ इसी तरह से शीशगढ़ में उर्मिला देवी हत्याकांड को अंजाम दिया गया है.