भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आज ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करेगा. इससे पहले 30 नवंबर एएसआई ने रिपोर्ट पेश करने के लिए 10 दिन का समय मांगा था. एएसआई ने कोर्ट से ये समय तीसरी बार मांगा था. जिसके बाद वाराणसी कोर्ट ने 11 दिसंबर की तारीख तय की थी. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश में ये रिपोर्ट पेश की जानी है. इससे पहले एएसआई कोर्ट से कहा था कि ज्ञानवापी को लेकर सबूत जुटाए गए हैं और इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

21 जुलाई को वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे की इजाजत दी थी. आदेश के बाद ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर सर्वे करना शुरू किया था. सर्वे का मकसद ये पता लगाना है कि क्या 17वीं शताब्दी में इस मस्जिद का निर्माण हिन्दू मंदिर के ऊपर किया गया है. 92 दिन तक ASI ने ज्ञानवापी का सर्वे किया . हालांकि इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने ऊपरी अदालत में अपील की थी जिसकी वजह से सर्वे का काम रुक गया था. उसके बाद 4 अगस्त को एक बार फिर से सर्वे शुरू हुआ, जिसके बाद 2 नवंबर को काम पूरा हो गया.

वजू खाने का नहीं हुआ सर्वे

ASI ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाना और व्यास जी के तहखाने का सर्वे नहीं किया है. गौरतलब है कि हिंदू पक्ष ने वजू खाने वाली जगह पर शिवलिंग मिलने की बात कही थी, वहीं व्यास जी के तहखाना के पास तीन और तहखाने मिलने का भी दावा किया था. पांच वादी महिलाओं ने श्रृंगार गौरी सहित अन्य जगहों पर पूजा की मांग की थी. महिलाओं की इस अर्जी के बाद कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का फैसला किया था.

GPR के जरिए हुआ सर्वे

आपको बता दें कि हिन्दू पक्ष का कहना है कि प्लॉट नंबर 9130 पर आदि विश्वेश्वर मंदिर है, उनका कहना है कि मंदिर का हिस्सा अब भी वहां मौजूद है. इसके साथ ही हिन्दू पक्ष का ये भी कहना है कि मई 2022 में हुए अधिवक्ता कमिश्नर के सर्वे में कमल का फूल और त्रिशूल जैसे कई हिन्दू प्रतीक चिह्न मिले हैं. उधर ज्ञानवापी परिसर में खुदाई किए जाने को लेकर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में आपत्ति जताई थी. जिसके बाद ASI ने कोर्ट को जीपीआर तकनीक के इस्तेमाल की बात कही थी. दरअसल जीपीआर के जरिए बिना खुदाई या बिना काटे वैज्ञानिक सर्वे का काम किया जा सकता है.