मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की राह पर चल पड़े हैं. इसका उदाहरण नवनियुक्त मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के तुरंत बाद खुले में मांस बिक्री और धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को कंट्रोल करने के निर्देश देकर पेश कर दिया. इसके बाद सीएम मोहन यादव ने उज्जैन में रात गुजाकर ठीक उसी तरह दशकों पुराने मिथक को भी तोड़ डाला, जिस तरह सीएम योगी ने नोएडा का दौरा करके अंधविश्वास का खौफ खत्म कर दिया था.

बीते 13 दिसंबर को राजधानी भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद डॉ मोहन यादव अपने गृहनगर उज्जैन में महाकालेश्वर भगवान की पूजा-अर्चना करने पहुंच गए थे. इसके बाद राजधानी भोपाल लौटकर मुख्यमंत्री ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया कि किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थल और अन्य स्थान पर तय मापदण्ड के अनुरूप ही लाउड स्पीकर व डीजे का उपयोग किया जा सकेगा. इसकी जांच के लिए सभी जिलों में उड़नदस्ते गठित किए जाएंगे.

यही नहीं, ठीक जिस तरह से योगी सरकार ने यूपी में खुले में मांस बिक्री पर रोक लगाई, वैसे ही मध्यप्रदेश में भी खुले में बिना अनुमति मांस- मछली का विक्रय प्रतिबंधित कर दिया गया. इस संबंध में 15 दिसंबर से सभी नगरीय निकायों में मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम-1956 के प्रावधानों के तहत विशेष अभियान शुरू हो गया है.

उधर, वर्षों से एक मिथक था कि कोई भी राजा उज्जैन में रात को रुक नहीं सकता, क्योंकि यहां के राजा महाकाल हैं. लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मिथक को तोड़ दिया. वह शनिवार रात में उज्जैन में ही रुके. CM यादव बोले, मैं भगवान महाकाल का बेटा हूं, मैं यहां रुक सकता हूं. बता दें कि मोहन यादव उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक हैं और शहर की गीता कॉलोनी में ही सीएम का परिवार रहता है.

नोएडा जाने का टूटा मिथक

यह ठीक वैसे ही है, जैसे 2017 के मार्च महीने में पहली बार यूपी का मुख्यमंत्री बनने पर योगी आदित्यनाथ ने भी गौतमबुद्धनगर के NOIDA जाने का मिथक तोड़कर रख दिया था. जबकि उनसे पहले के मुख्यमंत्री नोएडा जाने की जहमत नहीं उठा सके थे. दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा के बारे में भी कहा जाता था कि जब भी प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री नोएडा आया तो फिर वह दोबारा सत्ता में नहीं लौटा. बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोएडा जाकर साल 2011 में अंधविश्वास को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन फिर वह 2012 के बाद सत्ता में कभी वापस नहीं आ सकी थीं. नोएडा जाने पर यूपी के सीएम वीर बहादुर सिंह, कल्याण सिंह, नारायण दत्त तिवारी तक अपनी कुर्सीं गंवा चुके थे, लेकिन 2017 में योगी ने इस मिथक को तोड़ा और साल 2022 में दोबारा प्रदेश की सत्ता में वापसी की.