Bharat Nyay Yatra: दक्षिण से उत्तर तक भारत को जोड़ने की यात्रा कर चुके कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब न्याय यात्रा पर निकलने वाले हैं. करीब 6600 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई के बीच 14 राज्यों के 85 शहरों से होकर गुजरेंगे. अब कहने को तो कांग्रेस कह रही है कि राहुल गांधी की ये यात्रा आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के लिए होगी, लेकिन असल सवाल तो ये है कि क्या राहुल गांधी अपनी इस यात्रा के जरिए अपनी खुद की पार्टी कांग्रेस के साथ न्याय कर पाएंगे और उससे भी बड़ा सवाल कि क्या राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस की सीटों में कम से कम इतना इजाफा कर पाएंगे कि लोकसभा में पार्टी के सांसदों की संख्या तीन अंकों तक पहुंच जाएगी, आज बात इसी मुद्दे पर.

यूं तो पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना में सरकार बनने के बाद कांग्रेस के नेता दावा करते हैं कि इन राज्यों में मिली सफलता की सबसे बड़ी वजह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा रही है. हालांकि इसी यात्रा के बावजूद कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश क्यों हार गई, इसका जवाब कोई भी कांग्रेसी नहीं देना चाहता. असफलता से मुंह मोड़कर सफलता के दो उदाहरण सामने रख अब कांग्रेस राहुल गांधी के लिए एक और 6600 किलोमीटर लंबी यात्रा के लिए तैयार है, जिसे नाम दिया गया है न्याय यात्रा.

कैसे मिला भारत न्याय यात्रा नाम?

इस यात्रा के बारे में बात करने से पहले बात कर लेते हैं इसके नाम पर. ये नाम निकला है कांग्रेस के 2019 के लोकसभा चुनाव वाले घोषणा पत्र से, जिसमें कांग्रेस का सबसे बड़ा वादा न्याय योजना का था. इसमें कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि देश के हर गरीब परिवार को साल में 72 हजार रुपये दिए जाएंगे. तब कांग्रेस को चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. हार की समीक्षा के लिए जो कमिटी बनी थी, उसने पाया कि देश के अधिकांश हिस्सों में न्याय योजना के बारे में लोगों को पता नहीं चला और कांग्रेस के हारने की सबसे बड़ी वजह यही थी तो अब 2024 के चुनाव जब सामने हैं, तो कांग्रेस उसी न्याय योजना को आगे बढ़ाने के लिए न्याय यात्रा के पथ पर सवार हो रही है, जिसका नेतृत्व खुद राहुल गांधी के हाथ में दिया गया है.