सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

बता दे की सुप्रीम कोर्ट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्र का पुत्र घोषित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. बीते शुक्रवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता “अमर” हैं, उन्हें न्यायिक आदेश के जरिए से मान्यता देने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में बोस की भूमिका को स्वीकार करने की घोषणा के लिए न्यायिक आदेश सही नहीं होगा, क्योंकि नेता जी जैसे महान शख्स के लिए कोर्ट द्वारा मान्यता देने की आवश्यकता नहीं है.

नेता जी अमर हैं

न्यायाधीश सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कहा कि नेता जी जैसे नेता को कौन नहीं जानता, देश में हर कोई उन्हें और उनके योगदान को जानता है. आपको उनकी महानता के बारे में दरबार से घोषणा की आवश्यकता नहीं है. उनके जैसे नेता अमर हैं. दरअसल कोर्ट में कटक स्थित पिनाक पानी मोहंती ने जनहित याचिका पर दायर की थी, जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी. मोहंती की याचिका में बोस के योगदान को मान्यता देने में कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है, साथ ही कहा गया कि राजनीतिक दल ने बोस के लापता होने/मृत्यु से जुड़ी फाइलों को छिपाकर रखा है.

जानिए क्या की याचिका में मांग

याचिका में मांग की गई कि 23 जनवरी को बोस का जन्मदिन होता है ऐसे में केंद्र सरकार इस दिन को राष्ट्रीय दिवस घोषित करे साथ ही नेता जी को “राष्ट्र का पुत्र” घोषित करे. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मोहंती से कहा कि बोस जैसे प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों को उनकी भूमिका की सराहना के लिए कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि नेता जी लोग किसी भी अदालत द्वारा मान्यता देने से ऊपर हैं. वो महान लोग हैं और सिर्फ हम ही नहीं, पूरा देश उनके जैसे नेताओं का ऋणी है. याचिकाकर्ता मोहंती ने कोर्ट से कहा कि कोर्ट बोस के कारण मान्यता देने सरकार को नोटिस जारी करे.
पीठ ने 1997 के फैसले का हवाला देते हुए मोहंती से कहा कि उन्हें बोस के लापता होने या मौत से जुड़े मुद्दे नहीं उठाने चाहिए. ये सब कोर्ट द्वारा 1997 में पहले ही निपटाया जा चुका है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता मोहंती से कहा कि उन्हें ऐसे मुद्दों को यहां उठाने से पहले उस फैसले को पढ़ना चाहिए था.