विशाखापट्टनम में घट रही अजीबोगरीब घटना
समुद्र की लहरें देख इन दिनों विशाखापट्टनम के लोग चिंतिंत हैं. इसकी वजह है समुद्र का पीछे हटना. हालांकि अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि ऐसा होने की संभावित वजह क्या है. क्या ये जापान में आए भूकंप की वजह से हुआ या फिर ये आमावस्या और पूर्णिमा के दौरान होने वाले मौसमों में बदलावों का नतीजा है, यह अब तक समझा जाना बाकी है. क्योंकि मामला ये है कि पिछले तीन-चार दिनों से विशाखापट्टनम में समुद्र लगातार पीछे की ओर खिसका है. सवाल है कि अघर जापान में भूकंप आया तो क्या उसका असर इतनी दूर तलक दिखेगा? क्या ये वजह है भी या कुछ और मामला है?
जानकारी के मुताबिक समुद्र के किनारे से लगभग 100 फीट पीछे समुद्र खिसक गया है. जो वहां के स्थानीय मछुआरे हैं, उनका कहना है कि पिछले तीन-चार दिनों से वह यह बदलाव दर्ज कर रहे हैं. सबसे बड़ी मुसीबत उनके लिए है जो समुद्र के आस पास के इलाकों में रहते हैं. इन मछुआरों का इस घटना पर अपना खुद का विश्लेषण है, हालांकि वह भी बहुत बहुत संतुष्ट नहीं हैं. कुछ लोग चिंता में हैं तो वहीं कुछ एक चकित हैं. विशाखापट्टनम के समुद्र पर होने वाला कोई भी बहुत जल्द ही नोट कर लिया जाता है. इसकी वजहें भी हैं. दरअसल लोग हर दिन विशाखापट्टनम के समुद्री किनारे का लुत्फ लेने जाते ही जाते हैं. महिलाओं से लेकर जवान, बच्चे यहां खेलने और मस्ती के मकसद से आते रहते हैं.
दिसंबर से फरवरी पर्यटन का महीना
आमतौर पर समुद्र में उठने वाले ज्वार भाटा के दौरान के दौरान ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं जहां समुद्र पीछे हटता है या फिर समुद्र की ऊंचाई थोड़ी बढ़ जाती है. पर यह बदलाव थोड़ा अटपटा है. सभी लोग इसको लेकर चिंतित हैं. यह हो भी ऐसे समय में रहा है जब पर्यटन का मौसम है. आमतौर पर दिसंबर से लेकर फरवरी के बीच आंध्र प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां आते हैं. अब लोग रोमांचित होने के साथ चिंतित भी हैं. मेट्रोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर रमेश का मानना है कि इसका जापान में आए भूकंप से कोई रिश्ता नहीं है. प्रोफेसर की समझ है कि समुद्र के भीतर कई तरह के बदलाव उसके तटों को प्रभावित करते हैं और यह एक सतत प्रक्रिया है.