आदित्य L1 सफलतापूर्वक अपनी मंजिल पर पहुंच चूका है
2024 की शुरुवात ISRO के साथ पुरे भारत के लिए यादगार रही, दरअसल 6 जनवरी 2024, भारत के इतिहास में इस तारीख को हमेशा याद रखा जाएगा. इसी दिन शाम के करीब 4 बजे भारत के पहले सूर्य मिशन- ‘आदित्य L1’ ने अपने लक्ष्य पर पहुंचने में कामयाबी हासिल कर ली. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने आदित्य L1 को कमांड देकर इसे लैंग्रेज पॉइंट 1 की हेलो ऑर्बिट पर पहुंचाकर इतिहास रच दिया. यानी आदित्य-एल1 अंतरिक्ष में उस स्थान पर पहुंच गया जहां से वह लगातार सूर्य को देख सकेगा.
इस मिशन की शुरुआत 2 सितंबर 2023 को हुई. जब आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सूर्य यान आदित्य एल1 लॉन्च किया गया था. पूरे चार महीने बाद बीते शनिवार ये स्पेसशिप अपने आखिरी और बेहद जटिल प्रक्रिया से होकर गुजरा.
इस खास मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसरो समेत पूरे देशवासियों को बधाई दी. उन्होंने कहा, “भारत ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है. भारत की पहली सोलर ऑब्जर्वेटरी आदित्य-एल 1 अपनी मंजिल तक पहुंच गई. यह सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं देशवासियों के साथ इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करता हूं. हम मानवता के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाते रहेंगे.”
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते है कि आखिर आदित्य L1 क्या है, इसे जिस हेलो ऑर्बिट पॉइंट पर पहुंचाया गया वह क्या होता है और सूर्य का अध्ययन लैग्रेंजियन बिंदु से ही क्यों किया जा रहा है?
क्या है ये एल-1 जहां पहुंचा इसरो का सूर्य यान
L1 का मतलब होता है लैग्रेंज प्वाइंट-1. यह सूर्य और पृथ्वी के बीच का वह सटीक स्थान है जहां सूरज और पृथ्वी का ग्रेविटेशनल फोर्स यानी गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस होता है. जिसके कारण यहां किसी भी ऑब्जेक्ट को रखने पर वह बड़ी आसानी से वहां स्थिर टिका रहता है.
बता दें कि धरती और सूरज के बीच पांच तरह के 5 प्वाइंट होते हैं, इन्ही पांचों प्वाइंट में से एक को लैग्रेंज प्वाइंट-1 कहा जाता है. भारत के सूर्य यान को इसी लैग्रेंज प्वाइंट-1 में स्थापित किया गया है.
ये प्वाइंट पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी (15 लाख किलोमीटर) दूर है. अब सूर्य यान के एल-1 प्वाइंट पर पहुंच जाने के बाद सैटेलाइट बिना किसी रुकावट के लगातार सूर्य को देख पाएगा.
इस मिशन को क्या कहा गया आदित्य एल-1
यह मिशन भारत का है और क्योंकि भारत में सूर्य को आदित्य भी कहते हैं. इसलिए इस मिशन का नाम ‘आदित्य L1’ रखा गया.