हर इंसान को सांस लेने के लिए हवा की जरूरत होती है और पीने के लिए पानी चाहिए ही. मगर भारत में साफ हवा और शुद्ध पीने का पानी नसीब होना आज एक बड़ी चुनौती बन गया है.

खासकर बड़े शहरों में जहां ज्यादा आबादी रहती है. यहां करोड़ों लोग साफ हवा और साफ पानी पीने के अधिकार से वंचित हैं. हर साल लाखों लोग मौत की नींद सो जा रहे हैं. भारत में खराब हवा की वजह से सालाना 1.6 मिलियन (16 लाख) मौतें होती हैं. 99 फीसदी से ज्यादा भारतीय डब्ल्यूएचओ की हेल्थ गाइडलाइन से पांच गुना ज्यादा PM2.5 के साथ खराब हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं.

खराब पानी और खराब हवा ने निगल लीं 23 लाख जिंदगियां

लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रदूषित पानी और हवा की वजह से साल 2019 में 2.3 मिलियन (23 लाख) से ज्यादा लोगों की असामयिक मौत (Premature Deaths) हो गई. इनमें से 16 लाख मौत सिर्फ खराब हवा की वजह से हुई, जबकि पांच लाख मौतें गंदा पानी पीने की वजह हुईं.

प्रदूषण से मौत के मामले में भारत नंबर-1

दुनिया की बात करें तो 2019 में 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत का कारण साफ हवा और साफ पानी न मिल पाना बताया जा रहा है. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) और इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी 2019 के आंकड़ों बताते हैं प्रदूषण ही हर साल 8 मिलियन लोगों की मौत का जिम्मेदार है.

वहीं प्रदूषण के मामले में भारत की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है.

रिसर्च में बताया गया है कि प्रदूषण से 90 फीसदी मौतें कम आय और मध्यम आय वाले देशों में हुईं जिसमें भारत 23 लाख मौत के आंकड़े के साथ टॉप पर है और चीन 21 लाख मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है. लैंसेट की रिपोर्ट में खास तौर से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का जिक्र किया गया है. कहा है कि 2016 में इस योजना के जरिए गरीब ग्रामीण महिलाओं को गैस कनेक्शन देकर वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने का प्रयास किया गया.