मध्य प्रदेश में 15 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान के तीन बयान कांग्रेस को बीजेपी पर तंज करने का मौका दे रहे हैं. इन तीन बयानों को लेकर शिवराज सिंह चौहान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. कांग्रेस कह रही है कि कुर्सी जाने पर शिवराज का दर्द छलक रहा है, जबकि बीजेपी का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बार भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे. हालांकि, हाई कमान ने डॉक्टर मोहन यादव की ताजपोशी करते हुए बदलाव के जरिए सभी को अवसर देने की रणनीति पर काम किया. अभी डॉक्टर मोहन यादव को सीएम की कुर्सी संभाले एक महीना भी नहीं हुआ है और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तीन ऐसे बयान सामने आए हैं, जिन्हें लेकर कार्यकर्ताओं से लेकर हाई कमान तक हैरान है.

‘संगठन जो भी फैसला लेता है उसे सब मानते हैं’

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया के मुताबिक बीजेपी में जो भी संगठन फैसला लेता है उसे कार्यकर्ताओं से लेकर शीर्ष नेता तक सभी मानते हैं. वर्तमान में डॉक्टर मोहन यादव सरकार जनहित में कार्य कर रही है. लोकसभा की प्रदेश की सभी 29 सीट बीजेपी जीतने वाली है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद भी पार्टी में छोटा नहीं हुआ है.

‘मांगने से मर जाना बेहतर’

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पहला बयान भोपाल में उस समय सामने आया था जब बीजेपी ने मुख्यमंत्री के रूप में डॉक्टर मोहन यादव का नाम सामने रख दिया था. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा, “कुर्सी के लिए सब दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं, ऐसे में मैं कहना चाहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर मैं मर जाना अच्छा समझता हूं”.

‘राजतिलक के पहले जाना पड़ा वनवास’

शिवराज सिंह चौहान ने अपने गृह जिले सीहोर में एक आम सभा के दौरान कहा कि राजतिलक के पहले कभी-कभी वनवास पर भी जाना पड़ता है. उन्होंने भगवान श्री राम का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके राजतिलक की तैयारी चल रही थी पर अचानक उन्हें वनवास पर जाना पड़ा. इसी प्रकार उन्होंने खुद की तुलना भी करते हुए कहा कि अब उन्हें कोई जिम्मेदारी मिल सकती है.