उत्तराखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता को लेकर बिल पेश कर दिया है. अब इसको लेकर विधानसभा में चर्चा होगी, जिसके बाद बिल पर वोटिंग होगी. इस बिल के ड्राफ्ट में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, न्यायिक प्रक्रिया से तलाक समेत मुद्दों को शामिल किया है.

1- विवाह के समय पुरुष की आयु 21 वर्ष पूरी हो और स्त्री की आयु 18 साल हो. विवाह का पंजीकरण धारा 6 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगेगा.

2- तलाक के लिए कोई भी पुरुष या महिला कोर्ट में तबतक नहीं जा सकेगा, जबतक विवाह की अवधि एक साल न हो गई हो.

3- विवाह चाहे किसी भी धार्मिक प्रथा के जरिए किया गया हो, लेकिन तलाक केवल न्यायिक प्रक्रिया के तहत हो सकेगा.

4- किसी भी व्यक्ति को पुनर्विवाह करने का अधिकार तभी मिलेगा, जब कोर्ट ने तलाक पर निर्णय दे दिया हो और उस आदेश के खिलाफ अपील का कोई अधिकार नहीं रह गया हो.

5- कानून के खिलाफ विवाह करने पर छह महीने की जेल और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा नियमों के खिलाफ तलाक लेने में तीन साल तक का कारावास का प्रावधान है.

6- पुरुष और महिला के बीच दूसरा विवाह तभी किया जा सकता है, जब दोनों के पार्टनर में से कोई भी जीवित न हो.

7- महिला या पुरुष में से अगर किसी ने शादी में रहते हुए किसी अन्य से शारीरिक संबंध बनाए हों तो इसको तलाक के लिए आधार बनाया जा सकता है.

8- अगर किसी ने नपुंसकता या जानबूझकर बदला लेने के लिए विवाह किया है तो ऐसे में तलाक के लिए कोई भी कोर्ट जा सकता है.

9- अगर पुरुष ने किसी महिला के साथ रेप किया हो, या विवाह में रहते हुए महिला किसी अन्य से गर्भवती हुई हो तो ऐसे में तलाक के लिए कोर्ट में याचिका लगाई जा सकती है. अगर महिला या पुरुष में से कोई भी धर्मपरिवर्तन करता है तो इसे तलाक की अर्जी का आधार बनाया जा सकता है.

10- संपत्ति को लेकर महिला और पुरुषों के बीच बराबर अधिकार होगा. इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा. इसके अलावा इच्छा पत्र और धर्मज को लेकर भी कई तरह के नियम भी शामिल हैं.