महाशिवपुराण ग्राम बावड़िया भाऊ में आयोजित, पंडित ललित किशोर ने कहा कि रुद्राक्ष भगवान शिव का ही रूप माना गया है.
नर्मदापुरम तहसील सीवनी मालवा ग्राम बावड़िया भाऊ में चल रही महा शिव पुराण के अंतर्गत पंडित ललित किशोर ने कहा कि रुद्राक्ष भगवान शिव का ही रूप माना गया है, एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होता है एक मुखी मनुष्य और एक मुख्य रुद्राक्ष शिव कृपा से ही मिलते हैं, आज आदमी की वाणी पर नियंत्रण नहीं रहा किसी को और कुछ नहीं दे सकते हो कोई बात नहीं मीठी वाणी जरूर देना चाहिए ,पानी और वाणी यह दोनों मूलवान है कीमत करना चाहिए आज हम जल का दुरुपयोग करते हैं वाणी वाणी मूलवान है एक मुखी से 14 मुखी तक रुद्राक्ष का वर्णन किया।
बाद में सती चरित्र सुनाया शंका ही सती है विश्वास ही पार्वती है शंन्का जब जीवन में आती है तब विनाश होता है विश्वास जब जीवन में आता है तब विकास होता है दक्ष यानी कुशल सती कुशल बाप की बेटी थी, आदमी कीसी काम. दक्ष होता हे तो ऊसे अभिमान हो ही जाता हे इसलिए माता-पिता का अंश संतान में आवश्यक होता है बाद में हिमालय की पुत्री बनी पर्वत कभी हिलता नहीं विश्वास दृढ़ रहा हमारी श्रद्धा जब दृढ़ होती है तब जीव की लगन भगवान के साथ लगती है लगन लगना ही सही विवाह है बाद में शिव पार्वती विवाह की कथा को विस्तार से सुना शंकर भगवान भस्म धारण यह संदेश शिवजी ने संसार को दिया की एक दिन यह शरीर राख हो जायेगा जीवन का असली सत्य ही भस्म है, इसीलिए भगवान को अर्पण कर देते हैं गले में सर्प धारण करने का अर्थ है बोली पर नियंत्रण रखना शिव के मस्तक पर सर्प का मुकुट है काल सब के ऊपर बैठा है एक दिन सबको जाना पड़ेगा यह संदेश भगवान ने दिया, भुजा में सर्प है अपने हाथों पर नियंत्रण रखें हाथ हाथी को नहीं दिए हैं मनुष्य को मिले हाथ से सेवा करें कमर में सर्प का अर्थ हे की अपने बैठने पर नियंत्रण होना चाहिए बहुत से लोगों का बैठना बहुत अच्छा नही होता है ऐसी जगह मत बैठे जहां बैठने से निंदाएं हो सत्संग में जाकर बैठना ही बैठना है कोई अगर बैठना सीखें तो चंद्रमा से ज्ञान लेना चाहिए ऊपर गंगा नीचे ज्ञान का तीसरा नेत्र है जो मनुष्य ज्ञान और गंगा के बीच में बैठता है उसी का बैठना धन्य है सत्संग की महिमा महाशिवपुराण के अंतर्गत बड़े विस्तार से सुनाई हजारों की संख्या में श्रद्धालु पधार कर पटेल परिवार के आंगन में महा शिव पुराण का पूर्ण लाभ ले रहे हैं.