आजादी की लड़ाई में साहित्य का अविस्मरणीय योगदान: ज्योतिरादित्य सिंधिया
हिंदी साहित्य भारती का प्रांतीय अधिवेशन सरस्वती शिशु मंदिर गौशाला में संपन्न हुआ, यह बात कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे केंद्रीय उड्डयन एवं विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही, सारस्वत अतिथि संस्था के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल पूर्व कृषि एवं शिक्षा मंत्री उ. प्र.अध्यक्षता शिरोमणि दुबे प्रदेश सचिव विद्या भारती प्रतिष्ठान ने की विशिष्ट अतिथि मान. विधायक पन्ना लाल शाक्य, न. पा. अध्यक्ष सविता अरविंद गुप्ता, डॉ सुधीर शर्मा भोपाल, सीताराम मीणा जिला शिक्षा अधिकारी, बारां राजस्थान, केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमा सिंह, कृष्ण राजौरिया अध्यक्ष धनाढ्य सभा, दिनेश बिरथरे रहे।
केंद्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमा सिंह ने संस्था का परिचय तथा उद्देश्य स्पष्ट किए, कार्यक्रम चार सत्रों में संपन्न हुआ, प्रथम सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कर कमलों से संपन्न हुआ, इस सत्र में सांस्कृतिक समरसता सम्मान फादर सेबी क्राइस्ट स्कूल को सामाजिक समरसता सम्मान अंतरराष्ट्रीय कवि जलाल मयकश को तथा कबीर सम्मान से डॉ लक्ष्मी नारायण बुनकर को अलंकृत किया गया।
द्वितीय सत्र में डॉ लक्ष्मी नारायण बुनकर की पांच पुस्तकों का विमोचन हुआ, इस सत्र की अध्यक्षता डॉ जवाहर द्विवेदी प्राचार्य शास. महाविद्यालय राधौगढ़ ने की, तृतीय सत्र की अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष दिनेश बिरथरे ने की, संचालन प्रीति गुप्ता, ऋषिकेश भार्गव, सुनील शर्मा चीनी ने किया, सिंधिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि आने वाला समय हिंदी का होगा, हिंदी साहित्य में समाज को संस्कारित करने की क्षमता है, इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए शहर के कई पत्रकारों का सम्मान भी किया गया, इस दौरान हर शहर के साहित्यकार मौजूद रहे, आभार व्यक्त विनोद तिवारी ने किया।