Pangong Tso Bridge: चीन के नापाक इरादों से तो हर कोई वाकिफ है, अब एक बार फिर से चीन के इरादे सामने आ चुके हैं, दरअसल, चीन ने पैंगोंग त्सो झील पर अपने कब्जे वाले क्षेत्र में पुल बना लिया है. ये बात सैटेलाइट तस्वीरों के जरिये सामने आई है, जिससे पता चलता है की चीन अपने खतरनाक इरादों को अब अंजाम तक पहुंचा रहा है.

चीन रच रहा साजिश?

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि इसी महीने पुल का निर्माण पूरा हुआ है. जी हाँ, चीन ने सिर्फ एक महीने के अंदर एक पूरे पुल का निर्माण कर दिया, अब भारत भी चीन का मुकाबला करने के लिए अपना सैन्य ढांचा मजबूत कर रहा है. बता दें की भारत अपनी तरफ फिंगर-4 की ओर एक सड़क बना रहा है. यह सड़क भारतीय सेना को सासेर ला होते हुए दारबुक-स्क्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड से जोड़ेगी.

पुल के निर्माण से चीन को फायदा

वहीं इस पुल के बनने से चीनी आर्मी के सैनिकों की आवाजाही आसान हो जाएगी, साल 2022 में पहली बार सामने आया था कि चीनी सेना पैंगोंग त्सो झील के सबसे संकरे इलाके खुर्नाक में एक पुल का निर्माण कर रही है, बाद में पता चला था कि यह सर्विस पुल था, जिसका इस्तेमाल एक बड़े पुल को बनाने के लिए किया जा रहा था, चीन की चालबाजी को देखते हुए भारत भी सीमा क्षेत्र में अपने आप को और मजबूत कर रहा है.

2020 के बाद से भारत-चीन के रिश्ते में तनाव बढ़ा है. गलवान की हिंसक एक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. इस झड़प में चीन के 38 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी. इसके बाद एलएसी पर सैन्य बल को बढ़ाया गया था. लगभग एक साल तक माहौल काफी तनावपूर्ण रहा था.

 

भारत कर रहा खुद को मजबूत

2020 के बाद से भारत ने 3500 किमी लंबी एलएसी पर बुनियादी तौर पर खुद को काफी मजबूत किया है. इसके लिए एलएसी पर भारत हेलीपैड, पुल, आवास निर्माण समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं को तैयार कर रहा है. 2020 के बाद से भारत ने 3500 किमी लंबी एलएसी पर बुनियादी तौर पर खुद को काफी मजबूत किया है. इसके लिए एलएसी पर भारत हेलीपैड, पुल, आवास निर्माण समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं को तैयार कर रहा है. तस्वीरों से संकेत मिलता है कि नया पुल उपयोग के लिए बनकर लगभग तैयार है, इसकी सतह पर हाल ही में डामर बिछाई गई है, यह पुल क्षेत्र में चीनी सेना की गतिशीलता को बढ़ाता है, जिससे संघर्ष क्षेत्रों और झील के आसपास भारतीय ठिकानों तक जल्दी पहुंच मिलती है।

2020 में एक मई को दोनों देशों के जवानों के बीच पैंगोंग त्सो झील के पास ही झड़प हुई थी. इसमें दोनों देशों के कई जवान घायल हुए थे. इसके बाद दोनों तरफ तनाव बढ़ गया था. 15 जून को गलवान घाटी में इस तनाव ने हिंसक रूप ले लिया था जिसमे कई जवान शहीद हो गए थे.