Gurmeet Ram Rahim: एक बार फिर से डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फरलो मिल गई है. बता दें की इस बार राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है, जिसके बाद वह मंगलवार को सुनारिया जेल से बाहर आ गया.

आसाराम भी जेल से बाहर

अब राम रहीम के बाद यौन शोषण के आरोप में जोधपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे आसाराम को भी कोर्ट से सात दिन की पैरोल मिली है. यानी आसाराम भी अब जेल से बाहर आ जायेगा, वहीं आसाराम की तबीयत को देखते हुए उसे पैरोल दी गई है. पुलिस कस्टडी में आसाराम उपचार के लिए महाराष्ट्र जाएगा. महाराष्ट्र में आसाराम का उपचार करवाया जाएगा.

बीते दिनों जोधपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे आसाराम की तबीयत बिगड़ गई थी. आसाराम को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया था. वहां जरूरी मेडिकल जांचें की गई, आसाराम का अप्रैल महीने में आयुर्वेदिक पद्धति से हार्ट का इलाज जोधपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में पुणे के माधवबाग अस्पताल के डॉक्टरों की निगरानी में हुआ था. अब फिर सीने में दर्द होने की शिकायत पर आसाराम को एम्स अस्पताल लाया गया था.

राम रहीम 21 दिनों तक कहाँ रहेगा?

हरियाणा की सुनारिया जेल से राम रहीम को मंगलवार सुबह लगभग 6.30 बजे पुलिस सुरक्षा में रिहा किया गया. वह फरलो की अवधि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरनावा आश्रम में बिताएगा. बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह ने जून 2024 में एक बार फिर फरलो की मांग की थी. राम रहीम ने 21 दिन की फरलो के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

बता दें की इससे पहले फरवरी में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा था कि वह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को उसकी अनुमति के बिना आगे पैरोल न दे. उस समय हाईकोर्ट शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रिहाई दिए जाने को चुनौती दी थी.

आखिर क्या है फरलो?

लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा की आखिर ये फरलो क्या है, तो बता दें की ये एक तरह से छुट्टी की तरह होती है, जिसमें कैदी को कुछ दिन के लिए रिहा किया जाता है. यह आमतौर पर उस कैदी को मिलती है जिसे लंबे वक्त के लिए सजा मिली हो. इसका मकसद होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके. इतना ही नहीं इसे बिना कारण के भी दिया जा सकता है.

फरलो और पैरोल में अंतर?

अब फरलो तो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है. जबकि पैरोल पर किसी भी कैदी को थोड़े दिन के रिहा किया जा सकता है. इसके अलावा फरलो देने के लिए किसी कारण की जरूरत नहीं होती. लेकिन पैरोल के लिए कोई कारण होना जरूरी है. किसी कैदी को पैरोल देने से इनकार भी किया जा सकता है.