Big Breaking: अब सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश के सहायक शिक्षकों को एक बड़ी राहत मिली है, दरअसल, 69,000 टीचर भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल हाईकोर्ट का वो फैसला लागू नहीं होगा जिसमें हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 69000 शिक्षक भर्ती में बनाई गई मेरिट लिस्ट को रद्द कर 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था.

अब इस मामले में कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई करने के लिए राज्य सरकार और दोनों पक्षों से लिखित में दलीलें पेश करने को कह दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए समय चाहिए, इस पर उन्होंने 25 सितंबर तक HC के आदेश पर रोक लगा दी, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर कहा कि वे अपनी दलील 7 पेज से ज्यादा न रखें, अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

ये था वो आदेश

आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जून 2020 और जनवरी 2022 के सलेक्शन लिस्ट को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार को आदेश दिया था कि वो 2019 में हुए सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हजार शिक्षको के लिए नए सलेक्शन लिस्ट तीन महीने में जारी करें.

यहां से शुरू हुआ था विवाद

दरअसल, 69 हजार सहायक श‍िक्षक पदों के लिए न‍िकली इस भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी. इसमें भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी. इस भर्ती के तहत करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिली.

बस यहीं से यह सवाल उठा कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण न‍ियमों को लेकर अनदेखी की गई. और जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया. 69000 भर्ती के अभ्यर्थी जो इस व‍िरोध के साथ आंदोलन के लिए सड़क पर उतरे।

आंदोलनकारियों का कहना था कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा. इसके बाद से 69 हजार शिक्षक भर्ती का पेच उलझ गया.