Ravan Dahan 2024: इस समय देशभर में नवरात्रि का उत्सव मनाया जा रहा है, साथ ही विजयादशमी को लेकर लगातार तैयारियां तेज हो गई है, कई जगहों पर रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले भी बनकर तैयार हो गए है.

उज्जैन से उठी मांग

लेकिन इन सब के बीच अब मध्यप्रदेश में एक अलग ही मांग उठ रही है, छिंदवाड़ा के आदिवासी गांवों के बाद अब मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी रावण दहन पर रोक की मांग उठ रही है, इसकी शुरुआत उज्जैन महाकाल मंदिर से हुई है.

किसने उठाई ये मांग?

दरअसल उज्जैन के महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश शर्मा ने रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की है.

उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखते हुए कहा कि रावण का दहन ब्राह्मणों का अपमान है, उन्होंने यह भी कहा कि रावण ने द्वापर युग में माता सीता का हरण अपने कुल के उद्धार के लिए किया था, न कि किसी व्याभिचारी प्रवृत्ति से.

इन जगहों पर होती है रावण की पूजा

बता दें कि आदिवासी गांवों में नवरात्रि में रावेन पेन की पूजा की परंपरा रही है, जहां रावण का नहीं, बल्कि स्थानीय देवता का सम्मान किया जा रहा है, इतना ही नहीं आदिवासी समुदाय भी रावण दहन और महिषासुर विसर्जन का विरोध करते आया है.

वहीं प्रदेश के कई जिलों में रावण के मंदिर भी हैं, जो बताते हैं कि रावण की पूजा करने की परंपरा इस समाज में है, विदिशा जिले के रावन गांव में दशहरे को रावण की प्रतिमा का पूजन किया जाता है.

12 अक्टूबर को होगा रावण दहन

दशहरे के मौके पर 12 अक्टूबर को देशभर में रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा, लेकिन उससे पहले रावण दहन का विरोध शुरू होता दिख रहा है.

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी का कहना है कि रावण दहन कर हर साल लाखों ब्राह्मणों का अपमान किया जाता है, द्वापर युग में माता सीता के हरण की घटना के चलते आज तक ब्राह्मणों की भावना को ठेस पहुंचाया जाता है.