इस महीने दूसरी बार दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर पद के लिए मतदान सदन में हंगामे के बाद टाल दिया गया है. एमसीडी एक दशक में पूरे राष्ट्रीय राजधानी के पहले महापौर का चुनाव करने वाली है। इस महीने की शुरुआत में, सदन के भीतर तबाही के दृश्यों ने आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा के नेताओं की आलोचना शुरू कर दी थी।

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आप ने 15 साल के शासन को समाप्त करते हुए पिछले महीने भाजपा से नागरिक निकाय का नियंत्रण छीन लिया था। पिछले साल शहर के तीन निकायों के विलय के बाद पहली बार एकीकृत एमसीडी के लिए दिसंबर में चुनाव हुए थे। मेयर पद के लिए आप की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय हैं और उनके खिलाफ बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मैदान में उतारा है. डिप्टी मेयर पद के लिए आप के आले मोहम्मद इकबाल बनाम भाजपा के कमल बागरी के बीच मुकाबला है।

इस बार दिल्ली को मिलेगी महिला मेयर

आप की शैली ओबरॉय और आशु ठाकुर जबकि बीजेपी की तरफ से रेखा गुप्ता महापौर पद की दावेदार हैं। आप ने शैली ओबरॉय को अपना मुख्य दावेदार बनाया है। ध्यान रहे कि नियम के मुताबिक इस बार दिल्ली की मेयर कोई महिला ही होंगी। वहीं, उपमहापौर पद के लिए आप के आले मोहम्मद इकबाल जबकि बीजेपी के जलज कुमार के बीच टक्कर है। महापौर और उपमहापौर के अलावा एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुने जाने की भी संभावना है। नवनिर्वाचित एमसीडी सदस्यों की पहली बैठक मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव किए बगैर स्थगित हो गई थी। आप पार्षदों ने पहले 10 मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलाने के पीठासीन अधिकारी के फैसले का विरोध किया था।

उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर जय प्रकाश ने कहा, ‘वक्त निकल रहा है और आप तथा भाजपा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पार्षदों तथा नामित सदस्यों का शपथ ग्रहण तथा महापौर और उपमहापौर का चुनाव एक साथ हो।’ उन्होंने कहा, ‘महापौर का चुनाव सदन की पहली बैठक में ही हो जाता लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछली बार हंगामे के कारण ऐसा नहीं हो सका। मैं उम्मीद करता हूं कि कल यह प्रक्रिया सुचारू रूप से होगी।’

भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि पूरे शहर को अब फिर से एक महापौर मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘अरुणा आसफ अली दिल्ली की पहली महापौर थीं और 2012 तक एमसीडी का तीन अंगों में विभाजन होने से पहले रजनी अब्बी आखिरी महापौर थीं और 10 साल बाद फिर से एक महिला मेयर बनेगी, यह शहर के साथ ही उस व्यक्ति के लिए बड़े सौभाग्य की बात है जो दिल्ली की महापौर बनेंगी।’

दिल्ली नगर निगम का गठन अप्रैल 1958 में हुआ था और उसके महापौर के पास 2012 तक प्रभावशाली शक्तियां थीं। वर्ष 2012 में निगम का तीन अलग-अलग नगर निगमों में विभाजन हुआ और प्रत्येक निगम का अपना महापौर बना ,लेकिन 2022 में केंद्र ने उत्तर दिल्ली नगर निगम (104 वार्ड), दक्षिण दिल्ली नगर निगम (104 वार्ड) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (64 वार्ड) का विलय कर दिया गया। हालांकि इसमें वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गयी। इस तरह, महापौर के चुनाव के बाद पूरी दिल्ली का 10 साल बाद एक महापौर होगा। दिल्ली नगर निगम के चुनाव 4 दिसंबर को हुए थे और मतगणना 7 दिसंबर को हुई थी। आप ने 134 वार्ड जीतकर एमसीडी में भाजपा के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया। भाजपा ने एमसीडी के 250 सदस्यीय सदन में 104 वार्ड में जबकि कांग्रेस ने नौ वार्ड में जीत दर्ज की।