पाकिस्तान ने फिर से IMF से कर्ज मांगा है, लेकिन IMF की शर्तों ने वहां सरकार के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। अगर शहबाज शरीफ IMF की शर्तों को मानते हैं तो जनता के विद्रोह का डर है और नहीं मानते हैं तो IMF से कर्ज नहीं मिलेगा। ऐसी स्थिति में देश कंगाल हो जाएगा। आइए जानते हैं पाकिस्तान के मौजूदा हालात के बारे में। सरकार क्या कह रही है और आगे क्या हो सकता है?

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पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आर्थिक हालात काफी खराब होते जा रहे हैं। आटा, चावल, दाल व अन्य खाद्य पदार्थ से लेकर पेट्रोल-डीजल तक सब कुछ महंगा हो गया है। पेट्रोल-डीजल का संकट बढ़ गया है। विदेशी बाजार से खरीदारी करने के लिए पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी बहुत कम बचा है। हाल ही में पाकिस्तान ने विदेशी कर्ज की किस्त चुकाई है। इस कारण से देश का मुद्रा भंडार घटकर 3.09 अरब डॉलर रह गया है।

पाकिस्तान ने फिर से IMF से कर्ज मांगा है, लेकिन IMF की शर्तों ने वहां सरकार के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। अगर शहबाज शरीफ IMF की शर्तों को मानते हैं तो जनता के विद्रोह का डर है और नहीं मानते हैं तो IMF से कर्ज नहीं मिलेगा। ऐसी स्थिति में देश कंगाल हो जाएगा। आइए जानते हैं पाकिस्तान के मौजूदा हालात के बारे में। सरकार क्या कह रही है और आगे क्या हो सकता है?

पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने को है। चार दिन पहले यानी दो फरवरी को पाकिस्तान सरकार ने बताया था कि उसके पास अब केवल 3.09 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार रह गया है। चार दिनों में इसमें करीब 30 प्रतिशत से ज्यादा रकम खर्च हो गई होगी। अब पाकिस्तान को केवल IMF से कर्ज की उम्मीद है। लेकिन इसमें भी पेंच फंसा हुआ है।

आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक प्रतिशत के बराबर करीब 900 अरब रुपये का बड़ा राजकोषीय घाटा तय किया है। इस पर पाकिस्तान के अधिकारियों ने आपत्ति जताई। अब मामला सुलझने के बजाय उलझता ही जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ टैक्स दर को 17 से 18 प्रतिशत तक बढ़ाने या पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक (पीओएल) उत्पादों पर 17 प्रतिशत टैक्स लगाने के लिए कह रहा है। अगर ऐसा होता है तो महंगाई में 70 से 80 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा। लोगों को एक पैकेट ब्रेड के लिए भी 500 से हजार रुपये देने होंगे। लेकिन अगर सरकार ने टैक्स दर नहीं बढ़ाई तो पाकिस्तान कंगाल हो जाएगा।

13 फरवरी से आंदोलन की चेतावनी
पाकिस्तान के व्यापारियों ने धमकी दी है कि अगर सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों को पूरा करने के लिए नए सिरे से टैक्स लगाती है तो वह देशव्यापी विरोध शुरू कर देंगे। साथ ही मांग की है कि सरकार इसके बजाय सेना के जनरलों, न्यायाधीशों और सांसदों के वेतन में कटौती करे। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के मरकजी तंजीम ताजिरन (व्यापारियों का केंद्रीय संगठन) के प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर नए टैक्स लागू किए गए तो वे 13 फरवरी से पूरे देश में एक विरोध आंदोलन शुरू करेंगे।

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, संगठन के नेताओं ने शासकों को चेतावनी दी कि देश की आर्थिक स्थिति ने आम जनता और व्यापारिक समुदाय पर अधिक ‘कर्तव्यों’ का बोझ डालने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी है। उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि एक परमाणु शक्ति संपन्न देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर रूप से खराब है और प्रत्येक बीतते दिन के साथ स्थिति बिगड़ती जा रही है। इस देश के नेताओं के दोषों या अपराधों का भुगतान जनता को नहीं भुगतना चाहिए।

संगठन के अध्यक्ष काशिफ चौधरी ने कहा, ‘अगर अरबों रुपये के और टैक्स लगाए गए, तो हमारी प्रतिक्रिया गंभीर होगी। वे अर्थव्यवस्था में सुधार करना चाहते हैं, तो सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग सहित हितधारकों से उचित फैसले लेने के लिए कहें।’ चौधरी ने कहा कि सरकार अगर वाकई में स्थिति संभालना चाहती है तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विधायकों, न्यायाधीशों, सेना के अधिकारियों और नौकरशाहों पर होने वाले खर्चों में कमी करें। सरकार को सभी ‘गैर-उत्पादक खर्चों’ में तुरंत आधी कटौती करनी चाहिए। व्यापारियों के प्रतिनिधियों ने मांग की कि सरकार दीर्घकालिक और अल्पकालिक आर्थिक नीतियां बनाए और अरबों कर लगाने के बजाय सभी क्षेत्रों से आयकर संग्रह सुनिश्चित करे।

आगे क्या करेगी पाकिस्तान सरकार?
इसे समझने के लिए हमने पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सज्जाद से बात की। उन्होंने कहा, पाकिस्तान की स्थिति अब पूरी तरह से श्रीलंका की तरह हो गई है। अगर IMF से कर्ज नहीं मिलता है तो पाकिस्तान दिवालिया हो जाएगा। ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी मुद्रा काफी कमजोर हो जाएगी। विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान का कुल बाहरी ऋण स्टॉक 2020 के अंत तक 115.695 अरब डॉलर से बढ़कर 2021 के अंत तक 130.433 अरब डॉलर हो गया। सितंबर 2022 में देश का बाहरी कर्ज 126.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। मतलब अब स्थिति सरकार के हाथ से निकल चुकी है।’

सज्जाद कहते हैं, अगर पाकिस्तान खुद को दिवालिया घोषित करता है तो मुल्क का सबसे बुरा दौर होगा। दिवालिया होने का मतलब है कि आपकी क्रेडिट रेटिंग लगातार खराब हो रही हो। जैसे कुछ दिन पहले श्रीलंका के साथ हुआ था। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का उस देश से भरोसा उठ जाता है और कर्जदाता कर्ज अदायगी की तारीख बढ़ाने से इनकार कर देते हैं। अगर क्रेडिट रेटिंग खराब होगी तो कर्ज देने के लिए कोई तैयार नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा, ‘संभव है कि पाकिस्तान सरकार IMF से शर्तों में छूट देने की मांग करे। टैक्स की सीमा कम करने की मांग करे, ताकि कर्ज भी मिल जाए और जनता पर ज्यादा बोझ भी न बढ़े। अगर ऐसा हो जाता है तो पाकिस्तान को IMF से कर्ज मिल जाएगा। लेकिन ऐसा न होने पर पाकिस्तान डिफॉल्टर की लिस्ट में आ सकता है। ये सबसे विकट स्थिति होगी।’