राखी सावंत के दूसरे पति आदिल दुर्रानी जेल में है। राखी ने आदिल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। राखी पति पर उनका न्यूड वीडियो बनाकर बेचने तक का आरोप लगा चुकी है। राखी की वकील फाल्गुनी ब्रह्मभट्ट के मुताबिक IPC की धारा 498 (a) और 377 के तहत केस दर्ज किया गया है।
आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि आखिर 498 (a) है क्या, इसके लिए क्या सजा तय की गई है, शादीशुदा महिला के पास क्या कानूनी अधिकार है और 377 के तहत कब केस दर्ज किया जाता है।
Join DV News Live on Telegram
हमारे एक्सपर्ट हैं- सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक और सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट शशि किरण
सवाल: दहेज प्रताड़ना क्या है?
जवाब: पति या उसके रिश्तेदार से सम्पत्ति या कीमती वस्तुओं के लिए मांग की जाए उसे दहेज कहा जाता है। भारतीय कानून में इसके तहत दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध की श्रेणी में है। इसके लिए इंडियन पीनल कोड में सजा का प्रावधान है। दहेज न मिलने पर या फिर दहेज की मांग करने के लिए बहू को हैरास किया जा रहा है, उसके साथ क्रूरता की जा रही है तो उसे दहेज प्रताड़ना कहते हैं।
सवाल: दहेज प्रताड़ना के केस में क्रूरता किस आधार पर तय की जाती है?
जवाब: क्रूरता का यहां मतलब यह होता है कि बहू को इतना प्रताड़ित किया जाए कि वो सुसाइड करने की कोशिश करें, वो खुद को जानलेवा स्थिति में पहुंचा दे या उसका शारीरिक तौर पर नुकसान हो जाए।
सवाल: किस सेक्शन के तहत दहेज प्रताड़ना की सजा तय होती है?
जवाब: इसके लिए इंडियन पीनल कोड की धारा 498a मौजूद है। ऐसे केस में पति के अलावा अन्य परिवार वालों पर भी एक्शन लिया जाता है। यह बात भी याद रखें कि कभी भी अकेले 498a लगाकर FIR दर्ज नहीं की जा सकती है। इसमें दहेज निषेध अधिनियम(Dowry Prohibition Act) के सेक्शन 3 और 4 के आधार पर भी प्रोसिक्यूट किया जाता है।
सवाल: दहेज प्रताड़ना की सजा के लिए कितनी सजा का प्रावधान है?
जवाब: दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में साथ देने वालों को 5 साल की जेल होगी। इसके साथ 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
दहेज के लिए मारपीट करने पर, कीमती चीजों की मांग करने पर IPC की धारा 498a के तहत सजा मिलती है। इसके लिए 3 साल की जेल और जुर्माना होगा।
अगर पति और ससुराल वाले स्त्रीधन को सौंपने से मना करते हैं, तब 3 साल की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।
सवाल: क्या दहेज प्रताड़ना की FIR सिर्फ शिकायत करने भर से दर्ज हो जाती है?
जवाब: नहीं। पुलिस दोनों पार्टियों के बीच में एक समझौता कराने की कोशिश करती है। उनका मकसद होता है कि दोनों तरफ से प्रॉब्लम रिसॉल्व हो जाए और पुलिस केस करने की नौबत न आए। अगर यह समझौता करने का प्रयास सफल नहीं होता, पति के खिलाफ पत्नी एक्शन लेना चाहती है तब केस दर्ज होता है।
सवाल: दहेज हत्या क्या है?
जवाब: धारा 304-B के तहत होने वाले अपराध को कानून की भाषा में दहेज हत्या कहा जाता है। IPC 1860 में 1986 में जोड़े गए इस प्रावधान के अनुसार विवाह के सात साल में किसी महिला की जलने या किसी दूसरे तरह की शारीरिक चोट से अगर मौत हो जाती है और यह दिखाया जाता है कि मरने से पहले पति या ससुराल वालों ने मारपीट की थी, दहेज की मांग की थी, उसे ही दहेज हत्या माना है।
राखी के केस में दहेज प्रताड़ना के बाद उनके पति आदिल पर IPC की धारा 377 भी लगाई गई है, अब उससे रिलेटेड कुछ जानकारी ले लेते हैं…
सवाल: इंडियन पीनल कोड की धारा 377 किस लिए है?
जवाब: इस सेक्शन का टाइटिल ही इंडियन पीनल कोड में अननैचुरल ऑफेंस रखा गया है। कोई भी व्यक्ति किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक तौर से संबंध बनाता है तो उस पर धारा 377 लगाई जाती है। यह एक अपराध है।
सवाल: इस अपराध के लिए सजा क्या तय की गई है?
जवाब: अननैचुरल सेक्स करने वाले अपराधी को आजीवन जेल या दस साल की सजा हो सकती है। उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। कई बार जेल और जुर्माना दोनों की सजा मिल सकती है।
सवाल: क्या शादीशुदा महिला पति पर अननैचुरल सेक्स का आरोप लगा सकती है?
जवाब: लगा सकती है। कई बार इस तरह का आरोप गलत भी होता है। दरअसल भारतीय कानून के मुताबिक पति पर रेप का आरोप नहीं लगाया जा सकता इसलिए ज्यादातर केस में फेक 377 की शिकायत दर्ज करवाई जाती है, ताकि पति को बेल न मिल सके। केवल पेनिट्रेशन होना ही इस तरह के केस को साबित करने के लिए काफी होता है।
राखी सावंत तो राखी सावंत है। क्या पता उनका दिल पसीज जाए और आदिल को माफ कर दे, तब उनके पास कानूनन क्या ऑप्शन है, यह जानते हैं 3 सवालों के जवाब के माध्यम से…
सवाल: अगर राखी आदिल के साथ वापस रहना चाहती है, वो केस वापस लेना चाहती है तो उसके लिए उसे किन बातों को ख्याल रखना होगा यानी प्रोसेस क्या है?
जवाब: अगर केस करने वाला और जिस पर केस हुआ है दोनों के बीच समझौता हो गया है, तब वो केस वापस ले सकते हैं। प्रोसेस ऐसे समझें…
crpc की धारा 320 के तहत कोर्ट में एप्लिकेशन दी जाएगी। इस एप्लिकेशन में कोर्ट को बताया जाता है कि दोनों पक्ष के बीच समझौता हो गया है। इसलिए इस केस को रद्द कर दिया जाए। इसके साथ कई मामलों में कोर्ट खुद भी केस रद्द कर सकता है।
सवाल: किन मामलों में केस वापस नहीं किए जा सकते हैं?
जवाब: जब अपराध गंभीर होता है। उसकी सजा 3 साल से अधिक होती है, तब अपनी मर्जी से केस वापस नहीं लिया जा सकता।
सवाल:अगर अपराध गंभीर है इसके बावजूद दो पार्टी समझौता करना चाहती हैं, ऐसे में क्या? क्या केस वापस लिया जाएगा?
जवाब:अगर दोनों पार्टियों में समझौता हो जाता है और वे दोनों केस खत्म करना चाहते हैं, तो हाईकोर्ट में अर्जी दी जाती है। वहीं इस बारे में फैसला होगा।
अंत में नीचे लगी क्रिएटिव को पढ़ें और दूसरों काे शेयर भी करें