नई दिल्ली: एनसीईआरटी (एनसीईआरटी) के डायरेक्ट दिनेश सकलानी ने कहा है कि शिक्षा में सिर्फ मुगलों की बातें करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा में मुगलों से जुड़े सभी चैप्टर नहीं गए हैं। यही नहीं, प्राचीन भारत से जुड़े कुछ अध्याय भी प्रकाशित हुए हैं। क्या पढ़ाया जाता है और क्या नहीं पढ़ाया जाता है, यह विशेषज्ञ समिति तय करती है।

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सकलानी ने कहा कि जानकार ने कहा कि उसे हटा दिया गया है। जिसे रखने के लिए कहा गया है। विशेषज्ञ समिति की सलाह के आधार पर ही सेलेबस में बदलाव किया गया है। ‘गांधी कालखंड’ से जुड़े चैप्टर नहीं बल्कि मैटर में बदलाव हुआ है।

सकलानी ने कहा कि किताबों में जो लिखा है वहीं पढ़ाया जाएगा। जानकार ने कहा कि गोडसे की जाति की जरूरत नहीं है। एनसीईआरटी का नियर सेलेक्टिव नहीं है। पृष्ठ 336 के खोये हुए पैरा में गोडसे का उल्लेख है। निराला जी की कोई एक कवित हट गई तो इसका मतलब ये संक्षिप्त है कि उनकी पूरी कविता ही हट गई है।

NCERT के डायरेक्टरेट की बड़ी बातें-

– सकलानी ने कहा कि कोविड की वजह से छात्रों का सिलेबस कम हो गया है। ऐसा नहीं है कि इसे ऐसे ही बदल दिया गया है। जानकार की राय पर ही बदलाव हुए हैं।

– 12वीं कक्षा में मुगलों से एक अध्याय हटा दिया गया है। बाकी जो अध्याय काम के थे उन्हें पढ़ाया जा रहा है। प्राचीन भारत से जुड़े कुछ अध्यायों को भी हटा दिया गया है।

– मुगलों का रिवेन्यू सिस्टम अब भी पढ़ाया जा रहा है। कोई जरूरी है कि छोटे बच्चों को किताब में ही सब कुछ पढ़ लें।

– पूरे विवरण से जानकार बताए जाते हैं। केवल एक वैज्ञानिक नहीं होता है। जेनयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी के भी विशेषज्ञ आ रहे हैं। इसमें पूरी समिति होती है।

बता दें कि NCERT की नई किताब में महात्मा गांधी कालखंड से जुड़े कुछ चैप्टर में बदलाव की खबर सामने आई थी। इसके अलावा NCERT पर मुगलों से संबंधित अध्याय को भी हटाने का आरोप लगा। जिस अब NCERT के डायरेक्टर ने अपनी बात रखी है।