गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड का दांव चल सकती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार एक कमेटी गठित कर सकती है, ये कमेटी समान नागरिक संहिता की संभावनाएं तलाशेगी. इसके लिए विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन किया जाएगा. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इस कमेटी की अध्यक्षता करेंग

गुजरात के गृहमंत्री ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. इसके लिए एक कमेटी का गठन करने की योजना है. जानकारी के मुताबिक इस मामले में वह दोपहर तीन बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे.

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बताया जा रहा है कि आज कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड की तर्ज पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. दोपहर तीन बजे गुजरात के गृहमंत्री इस बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.
गुजरात सरकार के सूत्रों की मानें तो 1 या 2 नवंबर को चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. तारीखों का ऐलान होते ही गुजरात में आचार संहिता लागू हो जाएगी इससे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड का बड़ा दांव काफी महत्वपूर्ण हो सकता है.

इससे पहले उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड की घोषणा की गई थी. इतना ही नहीं सरकार बनने के बाद इसे लागू भी किया गया था.

कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर होगा फैसला

जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड की तर्ज पर ही गुजरात सरकार रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की घोषणा करेगी. कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में तय किया जाएगा कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लागू करना है या नहीं. इस कमेटी के गठन पर गृहमंत्री हर्ष संघवी और केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला चर्चा करेंगे. हालांकि गुजरात सरकार में इस तरह की कमेटी को लेकर अभी तक कोई प्रपोजल नहीं रखा गया है.

बीजेपी के एजेंडे में शामिल है UCC

समान नागरिक संहिता एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से बीजेपी के एजेंडे में रहा है. 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का मुद्दा शामिल किया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था. बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाता, तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

कानून की नजर में सब एक समान होते हैं. जाति से परे, धर्म से परे और इस बात से भी परे कि आप पुरुष हैं या महिला हैं, कानून सबके लिए एक ही है. शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत लेकिन सबसे बढ़कर लैंगिक समानता वो कारण है, जिस वजह से यूनिफार्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस की जाती रही है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम. इसका अर्थ है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता जिस राज्य में लागू की जाएगी वहां, शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.

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