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मामला भिंड शहर का है जहां प्रदेश का नंबर वन कहलाने वाला अस्पताल अब बना अव्यवस्थाओं का अस्पताल, हाल ही में भोपाल से आई टीम के द्वारा निरीक्षण किया गया था तो संबंधित अधिकारियों के द्वारा पहले से ही व्यवस्था में सुधार दी गई थी कुछ दिन बीत जाने के बाद जिला चिकित्सालय की हालत जस की तस हो गई है, ऐसी व्यवस्थाओं को देखकर यह नहीं लगता कि यह जिला चिकित्सालय नंबर वन कहलाने लायक है क्योंकि संबंधित अधिकारियों की लापरवाही देखी जाए तो छोटे अधिकारी से लेकर बड़े अधिकारियों की अनदेखी के कारण जिला अस्पताल बना नरक का अस्पताल, दो से 3 दिन बीत जाने के बाद भी मरीजों को नहीं मिल पाती है सुविधाएं, मरीजों ने संबंधित अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप और कहा कि 3 दिन से मैं जिला चिकित्सालय में भर्ती हूं और मुझे आज दिन तक चद्दर नहीं दी गई है जबकि हाल ही में चेकिंग आई थी तो जिले के सारे पलंगों पर नई चद्दर को बिछाकर संबंधित अधिकारियों को दिखा दिया था आज फिर वही हालत हो गई ऐसे संबंधित अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई की जाए जो कि मरीजों को एक बेहतर सुविधा मुहैया कराने का काम करें, मरीजों ने यही भी आरोप लगाया क्या पैसा देकर नंबर वन अस्पताल बनाया जाता है या जमीनी स्तर पर कार्य किया जाता है भिंड जिले की यदि बात की जाए तो जिला चिकित्सालय में गंदगी का अंबार एवं भर्ती मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं