एक पुनर्विवाह ने समाज को संदेश देने का काम किया है. इसमें सास-ससुर ने अपनी विधवा बहू की शादी करके उसकी जिंदगी को संवारने का काम किया और अपनी बेटी की तरह विदा किया.

इस पुनर्विवाह की सबसे खास बात यह थी कि विधवा बहू और विदुर दामाद के लिए रिश्ता तलाशने से लेकर शादी कराने का जिम्मा दोनों पक्षों की ओर से माता-पिता के बजाए सास-ससुर ने निभाया. बहू के सास-ससुर ने बेटी मानकर और दामाद के सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई. इस जोड़े ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने-अपने जीवनसाथी को खो दिया था.

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खण्डवा के गायत्री मंदिर में हुआ पुनर्विवाह अपने आप में अनूठा था. खरगोन निवासी रामचंद्र राठौर और गायत्री राठौर के बेटे अभिषेक का पांच साल पहले हार्टअटैक से निधन हो गया था. इससे बहू मोनिका और सात साल की पोती दिव्यांशी उदास रहने लगी. यह परेशानी देख सास-ससुर ने तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़ बहू का पुनर्विवाह कराने का मन बनाया. आखिरकार पांच साल की मेहनत और तलाश के बाद उन्हें अपनी बहू के लिए दिनेश के रूप में वर मिला.

दामाद के लिए बहू की तलाश

खंडवा निवासी दिनेश का सम्बंध भी माता-पिता ने नहीं बल्कि सास-ससुर ने ही तय किया दिनेश की पत्नी समिता का कोरोना में निधन हो गया था, इनकी दो बेटियां हैं. इसलिए इन बेटियों के भविष्य की खातिर दिनेश की सास शकुंतला राठौर और ससुर मोहनलाल राठौर को दामाद के लिए बहू की तलाश थी, जो पूरी हुई ओर शनिवार को खंडवा के गायत्री मंदिर में यह विवाह हुआ. दिनेश जिला न्यायालय में स्टेनो हैं.

पति की हार्ट अटैक से मौत

दूल्हन मोनिका राठौड़ ने बताया कि उनके पति की पांच वर्ष पूर्व हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. खरगोन में उनका ससुराल था. सास-ससुर ने बेटी की तरह मुझे विदा किया. उनकी तीन लड़की होते हुए चौथी लड़की मानकर मेरा विवाह किया. मोनिका राठौड़ ने बताया कि सास-ससुर भी माता-पिता की तरह हो सकते हैं.

पुनर्विवाह कराके कायम की मिसाल

वहीं दूल्हा दिनेश राठौड़ ने बताया कि डेढ़ साल पहले उनकी पत्नी का कोरोना से निधन हो गया था. उन्होंने बताया कि तब से वह व्यथित रहने लगे थे, जिसे देख उनके सास-ससुर चिन्तित थे.

फिर सास-ससुर ने ही कहा कि तुम पुनर्विवाह करो. इस दौरान वह मेरे लिए लगातार लड़की की तलाश करते रहे. फिर खरगोन के रामचंद्र राठौड़ की बहू की जानकारी निकाली, जिनके पति का हार्ट अटैक से निधन हो गया था. उनसे चर्चा कर सम्बन्ध के लिए राजी किया. इस तरह सास-ससुर ने हमारा पुनर्विवाह कराके एक मिसाल कायम की है.

बहू को बेटी की तरह किया विदा

वहीं मोनिका राठौड़ की सास गायत्री राठौड़ ने बताया कि उनके बेटे का निधन होने के बाद उन्होंने बहु को बेटी की तरह रखा. इसके भविष्य के लिए वह चिन्तित थीं इसलिए उन्होंने अपनी बहू के लिए योग्य वर की तलाश की ओर अपनी बेटी की तरह विदा किया.

साथ ही ससुर ने बताया कि उनके बेटे की अटैक होने से मृत्यु हो गई थी. हम अपनी बहू को बेटी बनाकर घर लाये थे इसलिए उसके लिए चिंतित थे. दो साल तक बहु को समझाया, तब कहीं जाकर वो मानी. फिर हमने उसकी दूसरी शादी अपनी बेटी की तरह करवाई और उसी तरह विदा भी किया.