पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 100 अरब डॉलर हो चुका है। महंगाई दर 40% के करीब हो गई। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) कर्ज की किश्त जारी करने तैयार नहीं है। चीन ने गुप्त शर्तों पर 700 मिलियन डॉलर फिर बतौर कर्ज दिए और पाकिस्तान को दिवालिया होने से कुछ दिन और बचा लिया। अब खबरें हैं कि शाहबाज शरीफ कुर्सी छोड़ सकते हैं।

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यहां हम इन तीनों विकल्पों को समझते हैं और ये भी जानते हैं कि ये कितने कारगर साबित हो सकते हैं। क्या इन्हें आजमाया भी जा सकता है, या नहीं। तो चलिए विस्तार से समझते हैं।

इन सबके बीच, एक बहस फिर जोर पकड़ रही है कि मुल्क को इन मुश्किलों से आखिर कैसे निकाला जाए। तीन विकल्प गिनाए जा रहे हैं। पहला- नेशनल गवर्नमेंट। दूसरा-टेक्नोक्रेट गवर्नमेंट और तीसरा- मार्शल लॉ यानी फौजी हुकूमत। पाकिस्तान के PM-मंत्री नहीं लेंगे सैलरी:शाहबाज शरीफ बोले- बिजली, पानी और गैस का बिल खुद भरें ताकतवर फौज पर खामोशी

महज 3 अरब डॉलर के फॉरेन रिजर्व (डिपॉजिट) के साथ दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान को बचाने की आखिरी कोशिश शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बुधवार रात सरकारी खर्च में जबरदस्त कटौती से जुड़े अहम ऐलान किए। कहा- मैं और कैबिनेट के बाकी मिनिस्टर्स सैलरी नहीं लेंगे। तमाम केंद्रीय मंत्री बिजली, पानी, गैस और टेलिफोन के बिल जेब से भरेंगे।