देश के तमाम खुदरा बाजारों में प्याज 15 से 25 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है, लेकिन एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार नासिक में किसानों को इसे 2 से 4 रुपए प्रति किलो में बेचना पड़ रहा है। पिछली साल किसानों ने इस समय में प्याज 20 रुपए किलो में बेचे थे। ऐसे में यहां अब किसान इस बार फायदा नहीं, नुकसान का हिसाब लगा रहे हैं।

Join DV News Live on Telegram

विधानसभा में हंगामा, प्याज की नीलामी रोकी
मंगलवार को NCP विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा में गले में प्याज की माला और सिर पर प्याज की टोकरी लेकर विरोध जताया। इससे पहले सोमवार को नाराज किसानों ने लासलगांव कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की नीलामी रोक दी थी। लासलगांव में प्याज बेचने आए किसान अनिल पंवार कहते हैं, ‘एक एकड़ में करीब 50 क्विंटल प्याज होती है। 40 से 50 हजार रुपए लागत आती है। मौजूदा रेट पर तो 50 क्विंटल के 10 हजार ही मिलेंगे।’

खरीफ (जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है), लेट-खरीफ (सितंबर-अक्टूबर में लगाई जाती है और जनवरी-फरवरी में काटी जाती है) और रबी (दिसंबर-जनवरी में रोपी जाती है और मार्च-अप्रैल में काटी जाती है)। कटी हुई फसल को किसान एक बार में नहीं बेचते। आम तौर पर इसे किश्तों में बेचते हैं ताकि प्याज का भाव एक दम से कम न हो।

खरीफ प्याज फरवरी तक और लेट खरीफ को मई-जून तक बेचा जाता है। खरीफ और लेट खरीफ दोनों प्याज में हाई मॉइस्चर होता है। इस कारण उन्हें ज्यादा से ज्यादा चार महीने तक स्टोर किया जा सकता है। इसके विपरीत रबी की प्याज को सर्दी-वसंत के महीनों के दौरान उगाया जाता है, और इसमें नमी की मात्रा कम होती है। इसे कम से कम छह महीने तक स्टोर किया जा सकता है। रबी की फसल अक्टूबर तक बाजार में रहती है।मौजूदा कीमत में गिरावट का मुख्य कारण फरवरी के दूसरे हफ्ते से तापमान में अचानक बढ़ोतरी है। हाई मॉइस्चर वाले प्याज में हीट शॉक से क्वालिटी खराब होने का खतरा होता है। अचानक सूखने के कारण बल्ब सिकुड़ जाते हैं। आम तौर पर, किसान इस समय केवल खरीफ की फसल ही बेचते है। लेकिन इस बार भीषण गर्मी ने उन्हें लेट खरीफ प्याज भी उतारने पर मजबूर कर दिया है, जिसे अब स्टोर नहीं किया जा सकता है। चूंकि खरीफ और लेट-खरीफ दोनों प्याज एक ही समय पर आ रहे हैं, इसलिए कीमतों में गिरावट आई है।

बीते दिनों सोशल मीडिया पर तुकाराम चव्हाण के एक मामले ने सुर्खियां बटोरी थी, जो सोलापुर जिले के बरशी तालुका के बोरगांव के एक उत्पादक हैं। तुकाराम को सोलापुर थोक बाजार में अपनी 500 क्विंटल उपज की बिक्री के बाद सभी खर्चों की कटौती कर 2 रुपए का चेक मिला था। इसने कई लोगों का ध्यान खींचा। महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और अन्य विपक्षी नेताओं ने सरकारी हस्तक्षेप की मांग की थी।