शहर में आदिवासी समुदाय आज 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मना रहा है। इसी के तहत सुबह शहर के लालबाग के सामने बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग इकट्‌टा हुए और महारैली के रूप में राजीव गांधी प्रतिमा चौराहे के लिए रवाना हुए। इस रैली में मणिपुर घटना, सीधी की घटना और आदिवासी अत्याचार विरोध में आदिवासी समाज के लोग पोस्टर लेकर चल रहे हैं। इन पोस्टरों तख्तियों और बैनर पर आदिवासी पर हुए अत्याचारों के विरोध में नारे लिखे हुए हैं। इसके साथ ही जमकर नारे भी लगाए जा रहे हैं। आदिवासी दिवस पर निकली यह महारैली समुदाय पर हो रहे अत्याचार को लेकर विरोध रैली के रूप में परिवर्तित हो गई है। इसके साथ ही मणिपुर की घटना के दोषियों को फांसी देने के नारे भी लगाए जा रहे हैं।

रैली में अधिकांश लोगों के हाथों में तख्तियां हैं, जिन पर लिखा है- जल जंगल जमीन बचाओ, बहन-बेटियों की रक्षा करो, प्यासी धरती करे पुकार पेड़ लगाओ करो उद्धार, बेकलॉग भर्ती तुरंत करो। इस तरह इस रैली में अनेक मुद्दों को उठाया गया है।

गौरतलब है कि महारैली सुबह लालबाग से रवाना होकर धीरे-धीरे आगे बढ़ती जा रही है और दोपहर तक राजीव गांधी प्रतिमा पहुंचेगी। इसके बाद सिल्वर ऑक गार्डन में सामाजिक विषय व मुद्दों पर विचार-मंथन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं। महारैली में हजारों आदिवासी समाजजन एकत्रित हुए हैं। रैली लालबाग से रवाना होकर कलेक्टोरेट, जूनी इंदौर ब्रिज, सिंधी कॉलोनी, भंवरकुआं से एबी रोड होकर महारैली राजीव गांधी प्रतिमा स्थल पहुंचने जा रही है। इसके बाद सिल्वर ऑक गार्डन में यह रैली आमसभा में बदल जाएगी।

वर्ष 1994 में घोषित हुआ था विश्व आदिवासी दिवस

वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया गया है। इस दिन आदिवासी समाजजन अपने मानव अधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण की बात करता है एवं अपनी मूलभुत सुविधाओं एवं अपनी समस्याओं से अवगत करवाता है।