एनजीटी ने एक बार फिर राजधानी की कलियासोत नदी के किनारे से दोनों ओर 33 मीटर के दायरे में आने वाले सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माणों को तोड़ने के आदेश दिए हैं। इस क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट और ओपन एरिया के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके साथ नदी में सीवेज नहीं मिलने की व्यवस्था भी की जाएगी।
खास यह है कि ट्रिब्यूनल ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई से शपथ पत्र लिया है, उसके बाद आदेश जारी किया। इसके लिए आदेश को पांच दिन तक रोककर रखा गया। पीएस ने शपथपत्र में कहा है कि वे कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे के सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण को दो माह में सीमांकन कराकर चिह्नित कराएंगे और दिसंबर अंत तक इन्हें तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी। एक अनुमान के अनुसार 33 मीटर दायरे में लगभग दो हजार निर्माण आएंगे। इनमें कुछ कॉलोनियों के मकान भी शामिल हैं।
एनजीटी सेंट्रल जोन के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. अफरोज अहमद की बेंच ने डॉ सुभाष सी पांडे की याचिका पर यह अंतिम आदेश पारित किया है। 11 अगस्त को हुई सुनवाई में एनजीटी ने प्रमुख सचिव और नगर निगम कमिश्नर को तलब किया था। दोनों अधिकारियों से पूछा गया कि वर्ष 2014 में आदेश जारी होने के बाद उस पर अभी तक अमल क्यों नहीं हो पाया। इसका अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे। इसके बाद आगामी कार्रवाई के संबंध में शपथपत्र मांगा गया। उसके बाद आदेश जारी किया गया।
एनजीटी ने एक बार फिर राजधानी की कलियासोत नदी के किनारे से दोनों ओर 33 मीटर के दायरे में आने वाले सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माणों को तोड़ने के आदेश दिए हैं। इस क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट और ओपन एरिया के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके साथ नदी में सीवेज नहीं मिलने की व्यवस्था भी की जाएगी।
खास यह है कि ट्रिब्यूनल ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई से शपथ पत्र लिया है, उसके बाद आदेश जारी किया। इसके लिए आदेश को पांच दिन तक रोककर रखा गया। पीएस ने शपथपत्र में कहा है कि वे कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे के सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण को दो माह में सीमांकन कराकर चिह्नित कराएंगे और दिसंबर अंत तक इन्हें तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी। एक अनुमान के अनुसार 33 मीटर दायरे में लगभग दो हजार निर्माण आएंगे। इनमें कुछ कॉलोनियों के मकान भी शामिल हैं।
एनजीटी सेंट्रल जोन के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. अफरोज अहमद की बेंच ने डॉ सुभाष सी पांडे की याचिका पर यह अंतिम आदेश पारित किया है। 11 अगस्त को हुई सुनवाई में एनजीटी ने प्रमुख सचिव और नगर निगम कमिश्नर को तलब किया था। दोनों अधिकारियों से पूछा गया कि वर्ष 2014 में आदेश जारी होने के बाद उस पर अभी तक अमल क्यों नहीं हो पाया। इसका अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे। इसके बाद आगामी कार्रवाई के संबंध में शपथपत्र मांगा गया। उसके बाद आदेश जारी किया गया।