शिक्षक दिवस के अवसर पर नर्मदापुरम जिले के हायर सेकंडरी स्‍कूल सांडिया में माध्‍यमिक शिक्षक के रूप में पदस्‍थ सारिका घारू को नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में राष्‍ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू ने राष्‍ट्रीय शिक्षक सम्‍मान प्रदान किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान एवं शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार करते हुये छात्रों के जीवन को समृद्ध बनाने के लिए यह सम्‍मान दिया गया। इस अवसर पर सारिका ने कहा कि मुझे अत्‍यंत प्रसन्‍नता है कि मुझे महिला राष्‍ट्रपति के कर कमलों से यह सम्‍मान मिला है, जो स्‍वयं ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र में शिक्षक रह चुकी हैं।

सारिका घारू को बच्‍चों और आमलोगों को आसमान की सैर कराने का ऐसा जुनून था कि वो अवकाश के दिन भी आराम नहीं करती थीं। ये सिलसिला पिछले 10 सालों से चल रहा है। बच्‍चों को खगोल विज्ञान का ज्ञान देने अपने स्‍कूल व आसपास के 100 किमी के दायरे में बसे गांवों का सफर कर अपने खर्च पर बच्चों के लिए जागरूकता गतिविधियां आयोजित करती हैं। सारिका ने बच्चों को वैज्ञानिक ज्ञान देना ही अपने जीवन का लक्ष्‍य बना लिया है।

सारिका कहती हैं कि समाज में आज जिस तरह से अंधविश्‍वास फैला हुआ है, लोग बिना जाने समझे किसी भी चीज पर विश्‍वास कर बैठते हैं। कई बार उनका यह भरोसा दुख और परेशानी का सबब बन जाता है। ऐसे में लोग कैसे अंधविश्‍वास से मुक्‍त हों, उनके भीतर वैज्ञानिक दृष्टि कैसे विकसित हो, इस बात को ध्‍यान में रखते हुए अंधविश्‍वास को वैज्ञानिक तरीके से मिटाने की जरूरत है।

प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र से लेकर राजधानी तक आमलोगों व बच्‍चों में वैज्ञानिक जागरुकता बढ़ाने के लिए अभियान चला रही हैं। सारिका ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र के बच्‍चों के बीच एक समर्पित मेंटर के रूप में कार्य करती हैं। वे प्रत्‍येक प्राकृतिक व खगोलीय घटनाओं के पीछे की मान्‍यताओं को वैज्ञानिक तथ्‍यों के साथ स्पष्ट करती हैं। आसपास के गांवों में जाकर टेलीस्‍कोप से आकाश दर्शन का कार्यक्रम करती हैं। इसके अलावा विज्ञान के प्रयोग बच्‍चों से करवा कर विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने का प्रयास करती हैं। इन बस्‍तियों एवं गांवों में सारिका घारू साइंस वाली दीदी के नाम से प्रसिद्ध हैं।

सारिका ने छात्राओं में विज्ञान के प्रति बढ़ाने किशोरी जागोरी अभियान शुरू किया है। इसके अलावा सारिका द्वारा नेचर वॉक, वैज्ञानिकों से सीधी बात, जल संरक्षण, ओजोन परत संरक्षण ,जैवविविधता संरक्षण आदि विषयों पर अनेक गतिविधियां की जा रही हैं। सारिका ने गर्मी की छुटि्टयों में प्रदेश के बैतूल, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, मंडला जैसे आदिवासी क्षेत्रों में पहुंच कर वहां की गंभीर समस्‍या सिकलसेल एनीमिया के फैलाव को रोकने के लिए भी कई तरह की गतिविधियां आयाेजित कर चुकी हैं। सारिका शिक्षकों व बच्‍चों में नवाचारों को प्रोत्‍साहित करने के लिए व्‍यक्गित संसाधन, ऊर्जा एवं विचारों को विभिन्‍न गतिविधियों के माध्‍यम से समर्पित करती हैं। सारिका का मानना है कि कोई भी मान्‍यता तब तक सुखकारी हो सकती है जब वह विज्ञान की कसौटी पर सही साबित हो।