इंदौर में बुधवार को पहली बार मेट्रो का डायनामिक टेस्ट किया गया। यह डायनामिक टेस्ट गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर स्टेशन नंबर 3 तक ट्रायल रन के 5.9 किलोमीटर के हिस्से में चलाया गया। इस दौरान पहली बार गांधी नगर डिपो से वायडक्ट चले और मेट्रो प्लेटफार्म पर पहुंची। वापस भी आई, इस हिसाब से करीब 12 किलोमीटर का सफर तय हुआ।

डायनामिक टेस्ट के तहत मेट्रो कोच बुधवार को 2 बजे मेट्रो डिपो से रवाना हुए। इस दौरान कोच की फिटनेस व ट्रैक की फिटनेस परीक्षण भी हुआ। 8 से 9 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलते हुए मेट्रो कोच 6 मिनट में गांधी नगर स्टेशन तक पहुंची।

इंदौर में मेट्रो कोच को पहली बार रैंप व वायडक्ट पर पहुंचाने वाले ट्रेन ऑपरेटर सागर डांड थे। वह दिल्ली से मेरठ रुट पर चलने वाले रीजनल रैपिड ट्रांजिक्ट सिस्टम (आरआरटीएस) के अंतर्गत 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलने वाली सेमी हाई स्पीड मेट्रो ट्रेन को चला चुके हैं।

ट्रायल रन होने तक सागर ही इस मेट्रो कोच के ड्राइवर की भूमिका में रहेंगे। उसके बाद मप्र मेट्रो रेल कार्पोरेशन लि. कंपनी अपना ट्रेन ऑपरेटर नियुक्त करेगी। वहीं बुधवार को जैसे ही कोच प्लेटफार्म पर पहुंचे मेट्रो के इंजीनियर व स्टेशन का निर्माण कर रहे मजदूरों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।

गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर स्टेशन नंबर 3 तक ट्रायल रन के 5.9 किलोमीटर के हिस्से में मेट्रो कोच चलाया गया। हर प्लेटफार्म पर कोच के पहुंचने पर उसके गेट की मार्किग व प्लेटफार्म से दूरी का आकलन किया गया।

12 किलोमीटर की दूरी तय की मेट्रो ने

मप्र मेट्रो रेल कार्पोरेशन लि. के डायरेक्टर सिस्टम शोभित टंडन के मुताबिक बुधवार को पहली बार मेट्रो कोच वायडक्ट, रैंप पर होकर मेट्रो स्टेशन तक पहुंचे। मेट्रो कोच ने आने व जाने के दौरान करीब 12 किलोमीटर की दूरी तय की। आगामी दिनों में तीन से चार बार कोच को डिपो से स्टेशन तक लाकर टेस्टिंग की जाएगी।

डिपो से वायडक्ट पर पहुंचने के लिए बनाए गए रैम्प का ढलान 3.5 मीटर का है। ऐसे में जब कोच रैंप पर चढ़ते है तो पावर ज्यादा लेते है। रैंप व वायडक्ट पर मेट्रो को चलाने के दौरान कोच में कोच तैयार करने वाली कंपनी के इंजीनियर, टेक्नीशियन व ट्रेक स्टाफ सहित करीब 15 लोगों की टीम थी। मेट्रो कोच को तीन से चार बार वायडक्ट से प्लेटफार्म पर चलाकर टेस्टिंग ट्रायल किया जाएगा।

ब्लिंग यार्ड में स्ट्रीचर से दिया कोच मिली लाइट

मेट्रो डिपो के स्टेब्लिंग यार्ड में जहां कोच की टेस्टिंग होती है। वहां पर ओवर हेड थर्ड रेल है। इसमें मौजूद 750 डीसी वोल्ट को तारों से जुड़े स्ट्रीचर के माध्यम से कोच को करंट देकर यार्ड के बाहर कोच को विद्युत प्रवाह करने वाली थर्ड रेल तक ले जाया जाता है। यार्ड से बाहर थर्ड रेल की पटरी से जोड़कर ही कोच वायडक्ट व प्लेटफार्म पर निर्बाध तरीके से पहुंचते है।