Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में लाखों श्रद्धालु पितरों का पिंडदान करने पहुंचते हैं. डॉ संतोष ओझा कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने का संदेश देने में लगे हैं. काशी में पितृपक्ष के मौके पर दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं. पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. इस बीच धर्मनगरी में कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने का संदेश दिया गया.

दशाश्वमेध घाट पर एक श्रद्धालु ने पिता के तौर पर 15 हजार अजन्मी बेटियों का श्राद्ध किया है. उनका कहना है कि 10 साल से श्राद्ध करते चले रहे हैं. अब तक 82 हजार अजन्मी बेटियों का पूरे कर्मकांड से तर्पण किया है. डॉ. संतोष ओझा बनारस के रहने वाले हैं.

उन्होंने गर्भ में मार दी गई बेटियों का विधि विधान से श्राद्ध किया. कर्मकांड को पुजारी श्रीनाथ पाठक और पंडित दिनेश दुबे ने पूरा कराया गया. डॉ संतोष ओझा ने बताया कि 2001 में जन जागरण अभियान चल रहा था. इस दौरान उनकी मुलाकात एक शख्स से हुई. उसने बताया कि बेटे की चाह में कन्या भ्रूण हत्या की है.

उसके बाद मुझे कन्या भ्रूण हत्या रोकने की प्रेरणा मिली. श्रेष्ठ विद्वानों से मिलकर अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना के लिए “अंतिम प्रणाम का दिव्य अनुष्ठान” नामक कार्यक्रम शुरू किया. 2013 से 2023 तक अनुष्ठान करने के काम में जुटा हूं.