इजराइल और हमास के बीच छिड़ी जंग को करीब 17 दिन हो चुके हैं और यह हर दिन भयंकर होती जा रही है. बुधवार को गाजा-पट्टी के एक अस्पताल में हुए हमले में 500 से अधिक लोगों की जान चली गई है. हालांकि हमास की तरफ से कहा गया है कि यह इजराइल की तरफ से किया गया हमला था, लेकिन इजराइली डिफेंस फोर्स ने कुछ वीडियो जारी कर कहा है कि हमास का रॉकेट वहां पर गिरा और यह उसके आतंकियों द्वारा किया गया काम है.

हमास को पता था कि वह इजराइल से युद्ध में नहीं जीतेगा, लेकिन फिर भी उसने इतने बड़े हमले को अंजाम दिया है. अब उसने मुस्लिम देशों से मिलिट्री सहयोग की गुहार लगाई है और इसी के चलते इजराइल में सीरिया और लेबनान में हिबजुल्लाह की तरफ से रॉकेट दागे जा रहे हैं. हालांकि देखने की बात यह है कि जिस फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर हमास ने इजराइल के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है, वह कभी पूरे इस्लामिक देशों को एक साथ लाता था और वह बिना किसी झिझक के उसके साथ हर तरह से खड़े रहते थे.

हालांकि आज मामला बदल गया है, क्योंकि अब हमास के साथ हिबजुल्लाह जैसे आतंकी संगठन या ईरान और सीरिया जैसे देश को छोड़कर कोई भी बड़ा इस्लामिक देश खुलकर इजराइल के सामने नहीं आ रहा है. यदि हमास वाकई में फिलिस्तीन की आजादी और वहां के लोगों को लेकर चिंतित है तो उसको समर्थन क्यों नहीं मिल रहा, क्यों कोई बड़ा इस्लामिक उसके साथ नहीं खड़ा. ये सब बातें मिडिल ईस्ट में एक नए समीकरण को बयां कर रही हैं, जिसको लेकर कहा जा सकता है कि क्या इस्लामिक देशों का रुख इजराइल को लेकर वाकई बदल गया है. इस बात को जानने के लिए पहले यह जानना बहुत ही जरूरी है कि हमास की तरफ से किस लिए गया हमला किया और इसको करने के लिए यह वक्त क्यों चुना गया.

यह बात पूरी तरह से साफ है कि हमास को पता था कि वह इजराइल की जमीन को किसी भी तरह से हासिल नहीं कर सकता, लेकिन जिस तरह से हमास ने इजराइल के लोगों को को बंधक बनाया उससे यह साफ हो जाता है कि यह इजराइल में आतंक फैलाने और दुनिया के ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए किया गया है. इसके साथ ही हमले का वक्त चुने गए वक्त को अमेरिका के द्वारा इजराइल और सऊदी के बीच शांति समझौते को माना जा रहा है.