दिल्ली सरकार के मंत्रियों और अफसरों के बीच तकरार एक बार फिर से देखने को मिल रही है. इस बार मुद्दा प्रदूषण का है. दिल्ली सरकार में सर्विसेज मंत्री आतिशी और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनपर कैबिनेट के फैसले को पलटकर दिल्ली के दो करोड़ लोगों की जान को जोखिम में डालने का आरोप लगाया. मंत्रियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक नोट लिखकर अश्विनी कुमार की बर्खास्तगी की मांग की है.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान, समर एक्शन प्लान के तहत काम करती है. उसका असर भी देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ सालों में सर्दियों के मौसम में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बढ़ी थी. गंभीर होते प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इसके कारणों की साइंटिफिक स्टडी का निर्णय लिया था कि किस समय किस एरिया में किस वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है इसकी पड़ताल हो. कैबिनेट ने निर्णय लिया था IIT कानपुर के साथ मिलकर रियल टाइम एपोर्सनमेंट स्टडी कराने का. लेकिन DPCC के चेयरमैन अश्वनी कुमार ने कैबिनेट के फ़ैसले को पलटते हुए स्टडी को रोक दिया.

गोपाल राय ने बताया कि 7 जुलाई 2021 को कैबिनेट ने इसका निर्णय किया था और फिर IIT कानपुर के साथ MoU हुआ, इसके लिए 12 करोड़ रुपए खर्च होने वाले थे, मशीनों के लिए 10 लाख IIT कानपुर को रिलीज कर दिया गया था, लेकिन इसी बीच दिसंबर में अश्वनी कुमार DPCC के चेयरमैन बने. उससे पहले तक पर्यावरण विभाग का सेक्रेटरी ही DPCC का चेयरमैन होता था. फरवरी में अश्वनी कुमार फाइल पर लिखते हैं कि स्टडी की कॉस्ट ज़्यादा है. अभी जबकि प्रदूषण में बढ़ोतरी का समय था, 18 अक्तूबर को इन्होंने लिखा कि IIT कानपुर का बचा हुआ पेमेंट नहीं दिया जाएगा, देश में पहली बार ऐसी स्टडी शुरू हुई थी जिसे रोक दिया गया. ऐसे समय में जब हमारे पास प्रदूषण के कारणों की रियल टाइम स्टडी होनी चाहिए थी वो नहीं है.