म्यांमार में जुंटा आर्मी और मिलिशिया पीडीएफ के बीच तनाव बढ़ गया है. रविवार शाम दोनों के बीच हुई गोलीबार के बाद पिछले 24 घंटे में करीब दो हजार लोग म्यांमार से भारतीय सीमा में घुस गए हैं. म्यांमार में बढ़ते तनाव के कारण मिजोरम हाई अलर्ट पर है क्योंकि म्यांमार के जिस राज्य (चिन) में यह लड़ाई हो रही है, वह मिजोरम के चम्फाई से लगती है.
भारत से लगती सीमा पर म्यांमार ने विद्रोहियों के गढ़ों पर हवाई हमले किए हैं. इसके बाद मिजोरम में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. म्यांमार के हालत बिगड़ते जा रहे हैं. जुंटा और पीडीएफ के बीच सोमवार तक तनाव जारी रहा. इस तनाव के चलते चिन के खावमावी, रिहखावदार और पड़ोसी गांवों के 2000 से ज्यादा लोग भारत आ गए और चम्फाई के जोखावथर में शरण ले ली.
म्यांमार सेना की गोलाबारी में एक की मौत, 16 लोग घायल
म्यांमार सेना की गोलाबारी में 16 लोग घायल हो गए जबकि 51 साल के एक नागरिक की मौत हो गई. मिलिशिया ने म्यांमार के रिहखावदार और खावमावी में स्थित सैन्य अड्डे को कब्जा कर लिया. इस दौरान जमकर गोलीबारी भी की. जवाबी कार्रवाई में म्यांमार की सेना खावमावी और रिहखावदार गांवों पर हवाई हमले किए. इस गोलीबारी में कम से कम 17 लोग घायल हो गए.
तख्तापलट के बाद से शुरू हुआ पलायन
2021 में तख्तापलट के बाद से म्यांमार की सेना जुंटा के सामने यह सबसे बड़ा संकट है. फरवरी 2021 के बाद जोखावथर में म्यांमार के 6000 से अधिक लोगों ने शरण ली है. कुल मिलाकर म्यांमार के करीब 32,000 लोगों ने मिजोरम के अलग अलग जिलों में शरण ली है. इनमें पुरुष महिला और बच्चे सभी शामिल हैं. मिजोरम के छह जिले (चम्फाई, सियाहा, लॉन्गत्लाई, सेरछिप, हनाथियाल और सैतुअल) म्यांमार के चिन राज्य के साथ 510 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं. असम राइफल्स भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा करती है.
बता दें कि पीपुल्स डिफेंस फोर्स एक विद्रोही संगठन है. यह संगठन देश में सेना द्वारा स्थापित सरकार का लगातार विरोध करता रहा है. पीडीएफ नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट का आर्म विंग है. सैन्य तख्तापलट के बाद 5 मई 2021 को पीडीएफ का गठन किया गया था. 1 फरवरी 2021 को म्यांमार की सेना ने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई आंग सान सू की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. आंग सान सू के साथ म्यांमार के कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया था.