सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने लंबी बीमारी के बाद आज मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार बुधवार को लखनऊ में किया जाएगा. अखिलेश यादव ने उनके निधन पर दुख जताते हुए इसे निजी क्षति बताया है.

सुब्रत राय स्वर्गीय सुधरी चंद रॉय के बेटे थे. उनका जन्म बिहार के अररिया में एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. सुब्रत रॉय हमेशा से पढ़ाई में काफी अच्छे थे. उन्होंने सरकारी तकनीकी संस्थान गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है. सहारा समूह की स्थापना से पहले उन्होंने रियल एस्टेट में लंबा समय बिताया था. सहारा समूह की स्थापना से पहले 18 सालों को रियल एस्टेट का अनुभव था और व्यवयास का 32 सालों का बड़ा अनुभव था. उन्होंने स्वप्ना रॉय से शादी की थी और उनके दो बेटे हैं.

रात 10:30 बजे हुआ निधन

सहारा इंडिया की तरफ से अभी तक जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक सुब्रत रॉय मेटास्टैटिक स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से जूझ रहे हैं, इन तीनों समस्याओं के चलते उन्हें कई अन्य बीमारियों ने भी घेर लिया था. 14 नवंबर को रात 10:30 बजे कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट की वजह से उनका निधन हो गया. बताया जाता है कि उन्हें दो दिन पहले ही 12 नवंबर को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

बिहार से था नाता

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय बिहार के अररिया जिले के रहने वाले थे, उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई कोलकाता में हुई थी, इसके बाद वह गोरखपुर चले गए थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक 1978 में सुब्रत रॉय अपने दोस्त के साथ स्कूटर पर बिस्किट और नमकीन बेचते थे, एक कमरे में दो कुर्सी और एक स्कूटर के साथ उन्होंने अपने इस कारोबार को दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाया. उसी दोस्त के साथ चिटफंड कंपनी खोली, मध्यम वर्ग इस कंपनी से इतना प्रभावित था कि उस समय 100 रुपये कमाने वाला भी 10 से 20 रुपये इस कंपनी में जमा करता था.

कई बिजनेस में आजमाया हाथ

एक समय में सहारा समूह आईपीएल की पुणे फ्रेंचाइजी का मालिक था. इसके साथ ही फॉर्मूला वन रेसिंग टीम फोर्स इंडिया में भी सहारा ग्रुप की हिस्सेदारी थी. सहारा ग्रुप 90 हजार करोड़ के नियोजित निवेश के साथ ही पूरे देश में 60 से अधिक टाउपशिप को विकसित करने की योजना बना रहा था. सहारा समूह करीब 11 लाख लोगों को रोजगार देता है. सहारा ग्रुप की बात करें तो रियर एस्टेट, बीमा, मीडिया, मनोरंजन, खेल और स्वास्थ्य सेवाओं में उनका दबदाबा रहा है