चीन ने दुनिया भर के मुसलमानों को अपने एक कदम से बड़े सदमे में डाल दिया है। दरअसल चीन ने शिंजिंयांग से लेकर अन्य शहरों में मस्जिदों को बंद कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। चीन को इन मस्जिदों में संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिए जाने का शक है। चीन के इस कदम से दुनिया भर के इस्लामिक देशों में खलबली मच गई है। हालांकि कोई भी मुस्लिम या गैर मुस्लिम देश चीन के इस कदम के खिलाफ एक शब्द भी बोल पाने या विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। वहां अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चीन के इस कदम पर चिंता जाहिर की है। चीन के इस सख्त एक्शन से दुनिया भर के मुसलमानों में हड़कंप मच गया है।

मानवाधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन शिंजियांग के अलावा भी अन्य क्षेत्रों में मस्जिदों को बंद करने की कार्रवाई कर रहा है। मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिदों को बंद किए जाने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकारियों ने उत्तरी निंशिआ और गांसू प्रांत में मस्जिदें बंद की हैं। इन इलाकों में ‘हुई मुसलमानों’ की बहुलता है। स्थानीय अधिकारी मस्जिदों की वास्तुकला शैलियों को भी खत्म कर रहे हैं ताकि वह ‘‘चीन’’ की तरह प्रतीत हों। दरअसल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी धर्म पर नियंत्रण मजबूत करने और उसके शासन के लिए संभावित चुनौतियों के जोखिम को कम करने के लिए दमनकारी अभियान चला रही है और मस्जिदों के संबंध में इस प्रकार की गतिविधियां उसी अभियान का हिस्सा है।
शिंजियांग में मानवता के खिलाफ हुए कई अपराध

राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2016 में धर्मों को चीन के अनुरूप करने का आह्वान किया था और इसके साथ ही शिंजियांग में शिकंजा कसने की कार्रवाई शुरू की थी। उस इलाके में एक करोड़ 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमान तथा अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की पिछले वर्ष एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने शिंजियांग में ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ किए हैं, जिसमें गैर-न्यायिक नजरबंदी शिविरों के नेटवर्क का निर्माण भी शामिल है।

कहा जाता है कि चीन ने इन शिविरों में दस लाख उइगर, हुई, कजाख और किर्गिज लोगों को रखा है। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, चीनी अधिकारियों ने शिंजियांग के बाहर के क्षेत्रों में अन्य उपयोग के लिए मस्जिदों को बंद कर दिया, ध्वस्त कर दिया या उनका रूप परिवर्तित कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने हालांकि इस रिपोर्ट के संबंध में ‘फैक्स’ के जरिए पूछे गए प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दिया है।