चीन के अस्पतालों में इस समय बड़े पैमाने पर सांस संबंधी दिक्कतों का सामना करने वाले लोग पहुंच रहे हैं. बीजिंग ने शुक्रवार को स्कूलों और अस्पतालों में सांस की बीमारियों के बढ़ने के कारण सतर्कता बरतने का आह्वान किया. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वहां की सरकार से मरीजों का डेटा मांगा था, जिसका अध्ययन करने के बाद उसने कहा कि कोई असामान्य या नए वायरस का पता नहीं चला है.

चीन ने पिछले साल दिसंबर में सख्त कोविड​​​​-19 प्रतिबंध हटाए थे. सर्दियों के आते ही देश श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि से जूझ रहा है. बीजिंग और लियाओनिंग प्रांत जैसे उत्तरी क्षेत्रों में अधिक केस सामने आ रहे हैं. विशेष रूप से बच्चे अधिक प्रभावित दिखाई दे रहे हैं. बीजिंग और लियाओनिंग के अस्पतालों में इलाज के लिए अत्यधिक मरीजों के पहुंचने से वेटिंग टाइम काफी ज्यादा हो गया है.

आने वाले महीनों में सांस संबंधी मरीजों के बढ़ने की आशंका

बीजिंग और लियाओनिंग के प्रशासन ने कहा है कि इस सर्दी और वसंत के मौसम में इन्फ्लूएंजा चरम पर होगा और भविष्य में कुछ क्षेत्रों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया का संक्रमण अधिक रहेगा. इसने कोविड ​​​​संक्रमण के दोबारा बढ़ने के जोखिम के बारे में भी चेतावनी दी है. यह स्थिति इस सप्ताह तब सुर्खियों में आई जब डब्ल्यूएचओ ने बच्चों में अज्ञात निमोनिया के संबंध में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए चीन से अधिक जानकारी मांगी.

डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को कहा कि चीन ने उसके अनुरोध का जवाब दिया है और उसके द्वारा प्रदान किए गए डेटा से पता चलता है कि सांस संबंधी बीमारियों के ताजा मामले माइकोप्लाज्मा निमोनिया जैसे ज्ञात रोगजनकों के प्रसार के साथ-साथ कोविड ​​​​प्रतिबंधों को हटाने से जुड़े थे. यह एक सामान्य जीवाणु संक्रमण है, जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है और इस साल मई से बीजिंग और लियाओनिंग प्रांत में फैल रहा है.

चीन में लोगों को दी गई अस्पतालों में जाने से बचने की सलाह

इस महीने, चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह कहते हुए हेल्थ एडवाइजरी जारी करना शुरू किया था कि वे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने जनता को भीड़-भाड़ वाले अस्पतालों में लंबे इंतजार और क्रॉस-इंफेक्शन के खतरे के बारे में चेतावनी दी थी. लेकिन उन्होंने मास्क पहनने और स्कूलों को बंद करने जैसे उपाय लागू नहीं किए. मेलबर्न स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज के प्रमुख ब्रूस थॉम्पसन ने कहा कि प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ भी असामान्य नहीं था.