सीरियाई गोलान के प्रस्ताव पर इजराइल को तगड़ा झटका लगा है. चीन और रूस के साथ भारत ने भी इसका विरोध किया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई वोटिंग के दौरान भारत ने इस पर चिंता जताई और प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में इस प्रस्ताव को मिस्र ने पेश किया. इस प्रस्ताव के पक्ष में 91 वोट पड़े जबकि 8 ने इसके खिलाफ मतदान किया. वहीं 62 सदस्य एबसेंट रहे.

भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, चीन, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात ने प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की. वहीं, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इजराइल, ब्रिटेन और अमेरिका ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. बता दें कि सीरियाई गोलान 1967 से इजराइल के कब्जे में है. तब से वह वहां से पीछे नहीं हटा है.

बता दें कि 5 जून 1967 को इजराइली सुरक्षा बलों ने सीरियाई गोलान पर कब्जा कर लिया था. यह दक्षिण पश्चिम सीरिया का एक इलाका है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश प्रस्ताव में इसी बात को लेकर चिंता व्यक्त की गई कि इजराइल अभी तक सीरियाई गोलान से पीछे क्यों नहीं हटा है. प्रस्ताव में कहा गया कि इजराइल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 497 (1981) का पालन करने में विफल रहा है.

मंगलवार के प्रस्ताव में 14 दिसंबर 1981 के इजराइली फैसले को भी अमान्य घोषित कर दिया गया और कहा गया कि इसकी कोई वैधता नहीं है. प्रस्ताव में सभी सदस्यों ने इजराइल से अपना फैसला रद्द करने को कहा. सीरियाई गोलन में इजराइली बस्ती निर्माण और अन्य गतिविधियों की अवैधता पर भी जोर दिया गया. कब्जे वाले सीरियाई गोलान में इजराइली शासन और उसे कानून को गलत ठहराया गया.