ग्लोबल वार्मिंग यानी धरती का तापमान बढ़ते जाना दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। हर साल गर्मी बढ़ती जा रही है। मौसम में बदलाव किसी भी तरह से शुभ संकेत नहीं है। तटीय इलाकों पर ज्यादा खतरा बताया जाता है। तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघलेंगे जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा। इसकी वजह से समुद्र के किनारे वाले शहरों पर खतरा हो सकता है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन ने एक चिंताजनक बात कही है।

यूएन ने कहा है कि 2023 इतिहास में अबतक का सबसे गर्म साल रहेगा। संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने कहा है कि 2023 अबतक का सबसे गर्म साल होगा। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया का तापमान तेजी से बढ़ रहा है यानी दुनिया तेजी से गर्म हो रही है।

वैश्विक औसत तापमान इस साल अक्टूबर के अंत तक प्री इंडस्ट्रियल पीरियड के औसत की तुलना में लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। पिछले सबसे गर्म वर्ष 2016 में यह करीब 1.29 डिग्री सेल्सियस के करीब था। WMO ने कहा है कि यह अंतर इतना बड़ा है कि नवंबर और दिसंबर के आंकड़ों से 2023 को अब तक का सबसे गर्म मौसम बनने से रोकने की संभावना नहीं है। डब्लूएमओ ने यह भी कहा कि कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों की देखी गई सांद्रता 2022 में अपने उच्चतम स्तर पर थी।

दुबई में क्या बोले पीएम मोदी

बता दें कि इस समय दुबई में COP28 की बैठक हो रही है। यहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2028 में भारत में COP33 की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत यूएन फ्रेमवर्क फॉर क्लाइमेट चेंज प्रोसेस के प्रति प्रतिबद्ध है। इसलिए आज मैं इस मंच से 2028 में COP33 समिट को भारत में होस्ट करने का प्रस्ताव रखता हूं।